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India News (इंडिया न्यूज़), Oxytocin: इन दिनों ऑक्सीटोसिन को लेकर काफी चर्चा है। हाईकोर्ट को हैप्पी का हार्मोन भी कहा जाता है। हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर की इस दलील पर गौर किया कि ऑक्सीटोसिन मवेशियों को दूध छोड़ने के लिए मजबूर करने और दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए दिया जाता है। दिल्ली हाईकोर्ट में हाल ही में दिए गए एक सबमिशन के अनुसार दिल्ली के डेयरी में ऑक्सीटोसिन के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
अप्रैल 2018 में केंद्र सरकार ने इस दवा पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसमें कहा गया था कि दुधारू मवेशियों पर इसका दुरुपयोग करके उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। जिससे न केवल मवेशियों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि दूध पीने वाले इंसानों पर भी इसका असर पड़ता है। राष्ट्रीय राजधानी में “डेयरी कॉलोनियों में ऑक्सीटोसिन हार्मोन के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल” पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने अब डेयरी कॉलोनियों में इसके गलत इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया है। कोर्ट की ओर से इसे लेकर कहा गया कि इसका इस्तेमाल “पशु क्रूरता” के बराबर है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने 1 मई के अपने आदेश में न्यायालय आयुक्त की दलील पर गौर किया- जिसके अनुसार, मुद्दों में से एक डेयरी कॉलोनियों में ऑक्सीटोसिन हार्मोन का बड़े पैमाने पर उपयोग था। जिसे लाल या चांदी के ढक्कन वाली सफेद प्लास्टिक की बोतलों में पैक किया जाता है।केंद्र ने फैसला किया था कि केवल एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (केएपीएल) को पूरे देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑक्सीटोसिन का उत्पादन करने की अनुमति दी जाएगी।
ऑक्सीटोसिन को ‘लव हार्मोन’ के रूप में भी जाना जाता है, यह स्तनधारियों की पिट्यूटरी ग्रंथियों द्वारा सेक्स, प्रसव, स्तनपान या सामाजिक बंधन के दौरान स्रावित होता है। इसे फार्मा कंपनियों द्वारा प्रसव के दौरान उपयोग के लिए रासायनिक रूप से निर्मित और बेचा जा सकता है। इसे या तो इंजेक्शन या नाक के घोल के रूप में दिया जाता है।
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