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Pakistani Citizen: पाक नागरिक कर रहा था भारत में सरकारी नौकरी, एक्शन मोड में आया गृह मंत्रालय

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : February 15, 2024, 11:28 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Rampur News: पाकिस्तानी नागरिक को भारत में सरकारी नौकरी मिव पाना बहुत ही बड़ी बात है। इससे यह साफ तौर माना जा सकता कि बड़े लेवल पर सिस्टम में झोल हुआ है। जांच में डीएम-एसपी ने तत्कालीन बीएसए को दोषी माना और गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी है, लेकिन तब यह हाईप्रोफाइल मामला दबा दिया गया था। लेकिन अब अचानक गृह मंत्रालय सक्रिय हो गया है। इस मामले में सरकार ने स्पष्ट विवरण के साथ रिपोर्ट मांगी है।

कौन है पाकिस्तानी नागरिकता

दरअसल यह मामला शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला आतिशबाज निवासी अख्तर अली की बेटी फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर ने 17 जून 1979 को पाकिस्तान निवासी सिबगत अली से शादी की और पाकिस्तान चली गईं। वहां उन्हें पाकिस्तानी नागरिकता मिल गई। बाद में उसने वहीं दो बेटियों को जन्म दिया। जिनका नाम फुरकाना और आलिमा है। शादी के तीन साल बाद उनके पति ने उन्हें तलाक दे दिया। जिस पर वह अपनी दोनों बेटियों के साथ रामपुर स्थित अपने मायके आ गई। वीजा अवधि समाप्त होने के बाद एलआईयू की ओर से उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। जिस पर उन्हें 25 जून 1985 को सीजेएम कोर्ट से सजा भी हुई थी।

फर्जीवाड़े का हुआ खुलासा

रामपुर में अवैध रूप से रह रही इस पाकिस्तानी नागरिक को एलआईयू ने नोटिस जारी कर वीजा अवधि बढ़ाने को कहा था। वहीं इसको लेकर पता चला है कि महिला बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षिका के पद पर तैनात है। एलआईयू ने बीएसए से जांच शुरू की तो पता चला कि उन्हें 22 जनवरी 1992 को बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी दी गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए एलआईयू ने रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी थी।

पुराने दस्तावेजों की हो रही जांच

साल 2015 में हुई जांच में तत्कालीन बीएएसए को छोड़कर चयन बोर्ड से जुड़े सभी लोगों को दोषी माना गया था। आवेदन से लेकर सत्यापन तक फर्जीवाड़ा हुआ और तत्कालीन बीएसए ने नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया। इसलिए दोषियों को बचाने के लिए फाइलों को दबा दिया गया, लेकिन अब गृह विभाग ने इसका स्पष्ट हिसाब मांगा है और रिपोर्ट मांगी है कि दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई, जिसके बाद पुराने दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

डीएम को किया गया तलब 

इस मामले को लेकर साल 2015 में तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश त्रिपाठी को प्रमुख सचिव गृह ने तलब किया था। जिस पर तत्कालीन डीएम ने तत्कालीन एसपी, एलआईयू, आईबी अधिकारियों के साथ बैठक कर रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें प्रथम दृष्टया बीएसए को दोषी माना गया था। बाद में 2 जून 2015 को डीएम-एसपी प्रमुख सचिव गृह के समक्ष उपस्थित हुए और अपनी विस्तृत रिपोर्ट उन्हें सौंपी।

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