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Pak-China Relations: पाकिस्तानी नौसेना को मिलेगा पहला जासूसी जहाज, भारत के खिलाफ चीन कर रहा मदद

Raunak Kumar • LAST UPDATED : March 17, 2024, 8:00 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), Pak-China Relations: भारत के विरुद्ध ड्रैगन हमेशा से साजिश रचता रहा है। पाकिस्तानी सेना का हमेशा से चीन मददगार रहा है। वहीं अब पाकिस्तानी नौसेना को चीन उसका पहला विशेष अनुसंधान जासूसी जहाज बेड़े में शामिल करने में मदद कर रहा है। पाकिस्तानी नेवी का यह जासूसी जहाज पूर्ण रूप से परमाणु-युक्त बैलिस्टिक मिसाइलों के प्रक्षेपण को ट्रैक करने के अलावा अन्य खुफिया-एकत्रित मिशनों को शुरू करने की क्षमता रखता है। माना जा रहा है कि भारत के स्वदेश निर्मित 175 मीटर लंबे मिसाइल रेंज इंस्ट्रूमेंटेशन जहाज, आईएनएस ध्रुव के बराबर है, पाकिस्तान का यह नया 87 मीटर लंबा पीएनएस रिजवान।

चीन को मिलेगी समुंद्र में मदद

दरअसल, आईएनएस ध्रुव के मुकाबले पीएनएस रिजवान बहुत छोटा है। जो लंबी दूरी के रडार, गुंबद के आकार के ट्रैकिंग एंटीना और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स से भरा हुआ है। भारतीय नौसेना के द्वारा आईएनएस ध्रुव को 2021 में कमीशन किया गया था। दरअसल, दुनिया के कुछ ही देश जैसे अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और भारत ऐसे विशेष जहाजों का संचालन करते हैं। भारत के मिसाइल प्रक्षेपणों की निगरानी के लिए चीन नियमित रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में जासूसी जहाजों को तैनात करता रहता है। साथ ही अन्य उद्देश्यों के साथ-साथ नेविगेशन और पनडुब्बी संचालन के लिए उपयोगी समुद्र विज्ञान और अन्य डेटा का मानचित्रण करता है।

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आईएनएस ध्रुव है स्वदेशी निर्मित

बता दें कि, भारत के स्वदेशी निर्मित आईएनएस ध्रुव को हिंदुस्तान शिपयार्ड विजाग में बनाने में कई साल लग गए थे। बता दें कि यह मिशन नौसेना, डीआरडीओ और एनटीआरओ के कर्मियों द्वारा संचालित किया जाता है। बता दें कि, आईएनएस ध्रुव का काम भारतीय मुख्य भूमि लक्ष्यों के खिलाफ जमीन या पनडुब्बियों से लॉन्च की गई शत्रुतापूर्ण बैलिस्टिक मिसाइलों का पता लगाना है। साथ ही उन्हें ट्रैक करने के लिए समुद्र पर एक पूर्व-चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य कर सकता है। इसका उपयोग सैन्य टोही, जासूसी और संचार के लिए किसी प्रतिद्वंद्वी द्वारा उपयोग किए जा रहे LEO उपग्रहों की निगरानी के लिए किया जा सकता है।

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