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India News,(इंडिया न्यूज),Parliament: मणिपुर में फैली जातिगत हिंसा सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर सामने आ रही है। जिसको लेकर विपक्ष लगातार से केंद्र सरकार पर हमला बोलते आ रहे है। जानकारी के लिए बता दें कि, ससंद में पिछले दो दिनों से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। जहां विपक्ष लगातार मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरता था जिसके बाद बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव के दूसरे दिन गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर मुद्दे पर जोरदार भाषण दिया। जिस दौरान उन्होंने विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधते हुए कहा कि, मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मई की शुरुआत में हिंसा भड़कने के बाद से स्थिति पर करीब से नजर है।
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री शाह ने सदन में कहा कि, मैं पूरे देश को बताना चाहता हूं, प्रधानमंत्री ने हिंसा की खबरें देखते ही मुझे रात में चार बजे और अगली सुबह साढ़े छह फोन किया। और विपक्ष कहता है कि मोदी जी को बिल्कुल चिंता नहीं है। हमने तीन दिन तक लगातार काम किया। 16 वीडियो कॉन्फ्रेंस की। 36,000 सीएपीएफ कर्मियों को तुरंत राज्य में भेजा। वायुसेना के विमानों का इस्तेमाल किया। मुख्य सचिव और डीजीपी को बदल दिया। सूरत से नये सलाहकार को भेजा। सब कुछ चार मई को ही किया गया। हिंसा शुरू होने के चौबीस घंटों के अंदर कार्रवाई की गई।
मिली जानकारी के अनुसार अमित शाह ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की विपक्ष की दलीलों को हिंसा पर राजनीति बताकर खारिज कर दिया। जिसके बाद विपक्ष ने अमित शाह पर जोरदार निशाना साधते हुए कहा कि, हमने अनुच्छेद 356 लागू क्यों नहीं किया। 356 तब लागू किया जाता है, जब प्रदेश में उथल-पुथल के दौरान राज्य सरकार सहयोग नहीं करती। राज्य हमारे सभी फैसलों का सम्मान करता है। सीएम एन बीरेन सिंह को इसलिए बदला जाता है, जब सीएम सहयोग नहीं करते लेकिन यह सीएम सहयोग कर रहे हैं।
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