संबंधित खबरें
इस देश में भंग किया संसद, दुनिया भर में मचा हंगामा; 23 फरवरी को हाने वाला है कुछ बड़ा
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पीएम मोदी से Manmohan Singh के लिए क्या मांग लिया ? सुन दंग रह गए लोग
'वह मेरे मित्र, दार्शनिक और…'सोनिया गांधी ने Manmohan Singh को याद करते हुए कही ये बात, भावुक हो गए लोग
खुल गया उस रात का काला राज! निकिता ने ऐसा क्या कहा था कि सुन टूट गया था अतुल, डिटेल जान पुलिस का भी ठनका माथा
संयोगों के शहंशाह मनमोहन सिंह ने बदला भारत
पिता की तरह गुणी हैं मनमोहन सिंह की तीनों बेटियां, कर चुकी हैं ऐसे बड़े-बड़े कारनामे, सुनकर नहीं होगा यकीन
India News (इंडिया न्यूज़),Partition Holocaust Memorial Day: हर साल आज के दिन यानी 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors Remembrance Day) के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भारत के दो टुकड़े हुए थे और पाकिस्तान का जन्म हुआ। ऐसे में हजारों लोगों ने अपनों को खो दिया अपने घरों को खो दिया। लाखों विस्थापितों की, जिन्हें विभाजन का दंश झेलना पड़ा और अपनी मातृभूमि को छोड़कर जाना पड़ा। कहा जाता है कि भारत के लिए विभाजन किसी विभीषिका से कम नहीं थी। इसलिए पीएम मोदी ने हर साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors Remembrance Day) के रूप में मनाने की शुरुआत की।
बता दें 14 अगस्त 1947 एक ऐसी तारीख है जिस दिन भारत तो गुलामी की बेड़ियों से आजादी मिली लोकिन उसके लिए भारत को और यहां रह रहे लोगों को भारी किमत चुकानी पड़ी। ये वहीं दिन है जब भारत को दो टूकड़े में बाटा गया। ये वहीं दिन है जब विभाजन के परिणामस्वरूप लाखों लोग बेघर हो गए। उन्हें रातों-रात पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। कई लोग तो ऐसे भी रहे, जिन्हें आजादी की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
विभाजन के बाद लाखों शरणार्थी अपने घर शहर को छोड़कर ऐसे स्थान पर रहने को मजबूर हो गए थे जहां उनका कोई नहीं था। जहां के लोग भाषा, संस्कृति सब अलग थी। ऐसे में शरणार्थियों को एक नई जिंदगी की शुरूआत करनी पड़ी। जिसने उनलोगों के जिवन को बहुत पीडा दायक बना दिया।
बता दें आज भी इस विभाजन का दुसप्रभाव देखने को मिलता है। आज भी किसी भी जगह के अल्पसंख्यक लोगों को दबाया जाता है। ऐसे में भारत के विभाजन के दौरान सिंध के अल्पसंख्यकों (हिंदू और सिख) को विकराल और भयावह त्रासदी सहनी पड़ी। ऐसे में इन लोगों के साथ उस समय जो हुआ उसकी अनुभव आज भी उनके जेहन में जिंदा है। 17 दिसंबर 1947 को सिंध के हैदराबाद और छह जनवरी 1948 को राजधानी कराची में हुए दंगों से अल्पसंख्यक इस कदर भयभीत हुए कि नवंबर 1947 तक ढाई लाख, जनवरी 1948 तक चार लाख 78 हजार और जून 1948 तक 10 लाख से अधिक लोगों ने सिंध छोड़ दिया।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.