India News (इंडिया न्यूज़) PM Modi Uttarkashi: उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को 17 दिनों की लंबे संघर्ष के बाद मंगलवार को सुरक्षित निकाला गया। 12 नबंवर यानि दिवाली के दिन फंसे इन मजदूरों के लिए ये 17 दिन किसी काली रात से कम नहीं रहें। वहीं प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी भी मजदूरों के बचाव के लिए लगातार मुख्यमंत्रियों के संपर्क में थे। मंंगलवार को मजदूरों के बहार निकले के बाद पीएम मोदी ने सुरंग में फंसे मजदूरों का नेतृत्व करने वाले शबा अहमद और गब्बर सिंह से फोन पर बातचीत की।    उनसे सुरंग में फंसे होने के दौरान क्या क्या परेशानी आई इस विषय की जानकारी ली।

पीएम ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने  मजदूरों के साथ बातचीत के दौरान सबसे पहले बधाई दी। इस दौरान पीएम ने कहा, “हम सबपर केदरनाथ बाबा और बद्रीनाथ भगवान की कृपा रही कि सभी मजदूर सही सलामत सुरंग से बाहर निकल सके। आप लोगों ने  ने सुरंग में मौजूद एक-दूसरे लोगों का हौसला बनाए रखा। यह एक बड़ी बात है।” उन्होंने आगे कहा कि मै लगातार सीएम और वहां काम कर रहे लोगों से जानकारी लेता रहता था। हालांकि आप सही थे, मगर चिंता बनी रहती थी।

मजदूर ने बताई आपबीती

मजदूर शबा अहमद ने सुरंग में बिताए 17 दिनों के अनुभव पीएम मोदी से बताते हुए कहा कहा कि  हम लोग तकरीबन 18 दिनों तक सुरंग में फंसे रहे, लेकिन हम लोगों को कभी घबराहट नहीं हुई। उन्होंने कहा, “हम 41 लोग सुरंग में फंसे थे। सभी अलग-अलग जिले से ताल्लुक रखते थे। हम लोग सुरंग में भाई की तरह रहते थे। सुरंग में सब एक दूसरे की मदद करते थे।”

उन्होंने घटना के बारे में बताते हुए कहा,  “जब मलबा गिरा, तो हमें पता था कि हम फंस गए हैं। पहले 10-15 घंटों तक हमें कठिनाई का सामना करना पड़ा। लेकिन बाद में, हमें चावल, दाल और सूखे फल उपलब्ध कराने के लिए एक पाइप लगाया गया। बाद में एक माइक लगाया गया और मैंने अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत शुरु की। उन्होंने कहा, “मैं अब खुश हूं, अब दिवाली मनाऊंगा।

मजदूर सुरंग में करते थे योगाभ्यास

मजदूर शबा ने बताया कि खाना आता था तो मिल-बांट कर हम सभी खाते थे। उन्होंने कहा, “रात में खाना खाने के बाद जितने भी आदमी थे, सभी पैदल टहलते थे। सुरंग में 2.5 किलोमीटर था। सुबह हम सभी मजदूर योगाभ्यास करते थे।”

मजदूर शबा ने आगे कहा,”मैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह को धन्यवाद कहना चाहता हूं। दोनों हमेशा मजदूरों से संपर्क में रहे। लगातार हमारा हाल-चाल पूछते थे। जब हम सुरंग से बाहर निकले तो धामी साहब ने हमें गले लगाया।”

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