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क्या है G7 देशों की पावर? समझें PM मोदी के इटली जाने के पीछे का मकसद

Rajesh kumar • LAST UPDATED : June 13, 2024, 9:35 pm IST

India News(इंडिया न्यूज),Italy G7 Summit: इटली के शहर अपुलिया में जी-7 शिखर सम्मेलन शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष अतिथि के तौर पर शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इटली रवाना हो गए हैं। एनडीए की तीसरी बार सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहली विदेश यात्रा है। प्रधानमंत्री 14 जून को यहां शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। उससे पहले प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- मैं जी-7 शिखर सम्मेलन में साथी विश्व नेताओं से मिलने, हमारे ग्रह को बेहतर बनाने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हूं।

प्रधानमंत्री मोदी इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के विशेष निमंत्रण पर शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। उम्मीद है कि इस सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध, हमास-इजरायल विवाद के अलावा दक्षिण अफ्रीका के मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है। शुक्रवार को जी-7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी दुनिया के ताकतवर नेताओं से मुलाकात और द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे। उसके बाद उनकी मुलाकात ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से होने वाली है। फिर उनकी मुलाकात जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज से होगी। प्रधानमंत्री मोदी इटली की पीएम जॉर्जिया मिलोनी के साथ अलग से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी जापान के प्रधानमंत्री से मिलेंगे। हालांकि, यह फाइनल नहीं है कि पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से मिलेंगे या नहीं। आखिर में इटली के पीएम के निमंत्रण पर अतिथि राष्ट्राध्यक्षों के साथ डिनर का कार्यक्रम है। इस दौरान एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा।

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G7 देशों की ताकत और पीएम मोदी

G7 देश कितने ताकतवर हैं और इस समिट में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी का क्या महत्व है। इसे समझने की जरूरत है। पूरी दुनिया की जीडीपी में G7 देशों की हिस्सेदारी 40 फीसदी है। विश्व व्यापार में G7 की हिस्सेदारी 30-35 फीसदी है। विश्व बैंक और IMF में G7 देशों का बड़ा प्रभाव है। आर्थिक नीतियों और सहायता कार्यक्रमों में G7 देशों की बड़ी भूमिका है। रूस और चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच UNSC का प्रभाव कम हुआ है और G7 का प्रभाव बढ़ा है। क्योंकि UNSC में आमने-सामने टकराव के कारण कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जा सकता है। जी-7 देशों में गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन समेत कई बड़ी कंपनियां हैं। जापान में सोनी, पैनासोनिक, जर्मनी में एसएपी जैसी बड़ी कंपनियां हैं। ब्रिटेन में एआरएम होल्डिंग्स, फ्रांस में डसॉल्ट, इटली में एसटी माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियां हैं, यानी टेक कंपनियों की ताकत की चाबी जी-7 देशों की जेब में है। जी-7 देशों ने एआई, ग्रीन एनर्जी, बायोटेक और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा निवेश किया हुआ है। जी-7 देश नाटो के प्रमुख सदस्य हैं जो वैश्विक सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

जी-7 शिखर सम्मेलन में किन मुद्दों पर होगी चर्चा

इटली में आयोजित शिखर सम्मेलन में दुनिया में शांति और सद्भाव के मुद्दों पर गंभीर चर्चा होने की संभावना है। इन मुद्दों में रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग और प्रभाव, मध्य पूर्व की स्थिति, स्विट्जरलैंड में शांति शिखर सम्मेलन की योजना, ऊर्जा के क्षेत्र में नए बदलाव, अफ्रीका और भूमध्य सागर की स्थिति के साथ-साथ रूस-यूक्रेन में चल रहा युद्ध और मध्य पूर्व में युद्ध शामिल हैं।

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भारत और इटली की दोस्ती की ताकत

पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच दोस्ती और गहरी हुई है। यह दोस्ती वैश्विक चर्चा का विषय भी है। पिछले साल भारत और इटली ने कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई। भारत और इटली यूरोपीय संघ में व्यापारिक साझेदार हैं। भारत और इटली के बीच करीब 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये का व्यापार होता है। इटली में करीब 2 लाख भारतीय रहते हैं। दोनों देश इंटरनेशनल सोलर अलायंस और इंडो-पैसिफिक में साझेदार हैं। इटली भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे में भी शामिल है। भारत में 700 से ज्यादा इतालवी कंपनियां काम कर रही हैं। 140 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने इटली को अपना घर बना लिया है। वित्त वर्ष 2023-24 में इटली ने भारत में करीब 28,700 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश किया है।

मेलोनी-मोदी की कूटनीतिक दोस्ती

इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का शामिल होना काफी अहमियत रखता है। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी को प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक दक्षता काफी पसंद है। देश में जब लोकसभा चुनाव चल रहे थे, तब मेलोनी ने पीएम मोदी को इस सम्मेलन में आने का न्योता दिया था।

इटली की मेजबानी में हो रहे चुनावों के समय पीएम मोदी को आमंत्रित करना अच्छी कूटनीतिक दोस्ती का संकेत है। इसका असर भारत और इटली के रिश्तों पर भी दिख रहा है। पीएम मोदी ऐसे समय इटली जा रहे हैं जब यूरोपीय संघ में जॉर्जिया मेलोनी की जबरदस्त चर्चा हुई है। यूरोपीय संघ के चुनावों में दक्षिणपंथी नेताओं और उनकी पार्टियों को बड़ी सफलता मिली है। यूरोपीय संघ की संसद में जॉर्जिया मेलोनी की पार्टी की सीटें दोगुनी हो गई हैं।

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फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को यूरोपीय संघ के चुनावों में झटका लगा है। यूरोप में दक्षिणपंथ की राजनीतिक हवा के बीच जॉर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर पीएम मोदी का शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि बनना विश्व पटल पर भारत के भविष्य को उज्ज्वल करने के अवसर जैसा है।

पहले भी मिल चुके हैं पीएम मोदी और मेलोनी

भारत और इटली हाल के वर्षों में एक दूसरे के करीब आए हैं। इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। उस समय उनकी मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो कूटनीति की दुनिया में खूब वायरल हुए थे।

पीएम मोदी जब दुबई में थे, तब उन्होंने जॉर्जिया मेलोनी से भी मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने सेल्फी भी ली थी। इसे खुद इटली की पीएम ने हैशटैग मेलोडी के साथ शेयर किया था। पीएम मोदी ने इसके जवाब में लिखा- दोस्तों से मिलकर अच्छा लगता है।

भारत पहले भी विशेष अतिथि देश रहा

यह पहली बार नहीं है कि भारत को इस संगठन ने अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया हो। अब तक भारत को कुल 11 बार जी-7 सम्मेलन में विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जा चुका है। पिछले 5 सालों से लगातार भारत को आमंत्रित किया जा रहा है। हालांकि भारत इस संगठन का स्थायी सदस्य नहीं है, लेकिन भारत के बढ़ते कूटनीतिक कद के कारण दुनिया के सबसे अमीर देश उसे बार-बार आमंत्रित करते हैं।

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