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नई दिल्ली।Political journey of late JDU leader Sharad Yadav: पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का बीते गुरुवार को निधन हो गया है। उन्होंने 75 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। शरद यादव का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है। वह ऐसे पहले नेता रहे जिन्होंने तीन राज्यों( मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार) से चुनाव लड़े और इसमें कामयाबी भी प्राप्त की। दिवंगत शरद यादव के निधन के बाद आज इस लेख में उनके 47 साल के लंबे राजनीतिक जीवन के सफर को एक नजर देखेंगे।
शरद यादव का जन्म मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिला में जुलाई 1947 को किसान परिवार के घर में हुआ। वह पढ़ाई- लिखाई में काफी अच्छे थे। स्थानीय स्कूलों में शिक्षा के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए जबलपुर में स्नातक के लिए नामांकन कराया। उन्होंने बीएससी और बीई( बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग) की पढ़ाई की। इस दौरान ही शरद यादव समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया की विचारधारा से प्रभावित होकर छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कर दी।
शरद यादव 1974 में उपचुनाव में मध्य प्रदेश के जबलपुर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। यह वह समय था जब जेपी आंदोलन अपने चरम पर था और वे हलधर किसान के चुनाव चिन्ह पर राजनीतिक क्षेत्र के लिए जय प्रकाश नारायण द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे। 1977 में, वह दोबारा से उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए। 1979 में जब जनता पार्टी का विभाजन हुआ, तो उन्होंने चरण सिंह गुट का साथ दिया।
जब राजीव गांधी ने 1981 में अमेठी से उप-चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा में प्रवेश किया, तो शरद यादव लोकदल के टिकट पर उनके सामने खड़ा हो गए। हांलाकि यादव की उस चुनाव में हार हुई। वे 1984 में चरण सिंह के नेतृत्व में लोकदल के टिकट पर यूपी के बदायूं से लड़े, हार गए। वह दोबरा से 1989 में जनता दल के सदस्य के रूप में बदायूं के मैदान में आए, इस बार उन्हें सफलता हासिल हुई।
इसके बाद, शरद यादव ने अचानक से बिहार की राजनीति कूद गए। पहली बार उन्होंने 1991 में मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, जीत गए। उससे बाद शरद लगातार मधेपुरा से चुनाव लड़ते रहे। चार बार 1991, 1996, 1999 और 2009 में उन्हें जीत मिली। वह 1999 में पूर्व सीएम लालू प्रसाद के सामने मैदान में आए और उन्हें बड़े अंतर से पराजित कर दिया। 2004 के चुनाव में शरद यादव को लालू यादव ने पटखनी दी।
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