होम / कई राज्यों में बिजली संकट, जानिए इसकी वजह क्या है?

कई राज्यों में बिजली संकट, जानिए इसकी वजह क्या है?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : April 26, 2022, 5:06 pm IST

इंडिया न्यूज:
गर्मियां शुरू होते ही कई राज्यों में बिजली-पानी का संकट गहराने लगता है। बिजली कट लगना शुरू हो जाते हैं। इससे जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस समय राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश समेत 12 राज्य बिजली संकट से जूझ रहे हैं। तो चलिए जानते हैं किन कारणों से भारत के कई राज्यों में ब्लैकआउट की स्थिति बनी है। गर्मी में ये बिजली कटौती कब तक जारी रहेगी।

बिजली संकट की वजह क्या है?

  • इस मामले में अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर महासंघ ने 12 राज्यों में बिजली संकट से ब्लैकआउट जैसी परिस्थिति बनने की बात कही है। महासंघ ने इसके पीछे ये वजह बताई हैं।
  • मंत्रालय की वेबसाइट पर गर्मी के दिनों में बिजली कटौती की एक वजह हाइड्रो पावर यानी पानी से तैयार होने वाले बिजली में कमी को बताया गया है। नदियों में पहाड़ों से आने वाले पानी में कमी की वजह से इन दिनों हाइड्रो पावर प्लांट अपने कैपेसिटी से महज 30 फीसी से 40 फीसदी बिजली पैदा कर पाती है।
  • कोयले की कमी की वजह से बिजली संकट की यह स्थिति बनी है। देशभर में कोयले से चलने वाले 150 पावर प्लांट में से 81 पावर प्लांट में कोयले की शॉर्टेज हो चुकी है। यह स्थिति सिर्फ सरकारी पावर प्लांट की नहीं है, बल्कि यही स्थिति प्राइवेट सेक्टर के थर्मल पावर प्लांट की भी है। 54 प्राइवेट पावर प्लांट में से 28 पावर प्लांट में कोयला की कमी बताई जा रही है।
  • गर्मी के दिनों में बिजली की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में बिजली प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए ज्यादा कोयला की जरूरत होती है। राजस्थान के सभी 7 थर्मल प्लांट में इस समय कोयले की कमी है। इन प्लांट से 7580 मेगावट बिजली प्रोडक्शन होती है। इसी तरह यूपी के 4 सरकारी थर्मल प्लांट में से 3 में कोयले की कमी हो गई है। इन चारों प्लांट से 6129 मेगावट बिजली पैदा होती है। यही वजह है कि इन दोनों राज्यों में बड़े स्तर पर बिजली कटौती की संभावना है।

अचानक क्यों आई कोयले की कमी?

  • भारत में टोटल बिजली प्रोडक्शन का 70 फीसदी हिस्सा कोयले के जरिए होता है। ऐसे में कोयला कमी की वजह ज्यादा बिजली की मांग होना है। रिपोर्ट की मानें तो 2021 में हर माह बिजली की मांग 124.2 बिलियन यूनिट थी। अब 2022 में गर्मी आते बढ़कर 132 बिलियन यूनिट हो गई है। कोल मैनेजमेंट टीम (सीएमटी) ने पावर प्लांट में कोयले की कमी होने की तीन वजह बताई हैं।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कोयले के दाम में वृद्धि हुई है। ऐसे में सरकार ने रूस और दूसरे देशों से कोयले की आपूर्ति कम की है। जनवरी 2022 से अप्रैल 2022 के दौरान कोयले का कुल आयात 173.20 मिलियन टन हो गया है। वित्तीय वर्ष 2020 के दौरान इन्हीं 4 महीनों में कोयला आयात 207.235 मिलियन टन था। इस तरह इस साल कोयले के कुल आयात में लगभग 16.42 फीसीद की कमी हुई है।
  • सप्लाई चेन बेहतर नहीं होने की वजह से गर्मी आते अचानक से कोयले की मांग बढ़ी तो आपूर्ति में कमी हुई। इसका परिणाम ये हुआ कि पावर प्लांट में कोयले की कमी हो गई है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने पावर प्लांट में कोयले की सप्लाई के लिए रेलवे कैरेज की संख्या बढ़ाने की बात कही है। 2021 में खराब मौसम की वजह से कोयले के प्रोडक्शन और ढुलाई में कमी आई है। इस वजह से पिछले साल से कोयले के स्टॉक में कमी आ रही है।

कोयले की कमी से बिजली की कीमत पर क्या असर पड़ेगा?

फिच ने रिपोर्ट में कहा है कि अप्रैल 2022 में बिजली की कमी 0.3 फीसदी से बढ़कर 1 फीसदी हो गई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि अप्रैल 2022 की शुरुआत में ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक ने टैरिफ में 15 पैसे की वृद्धि की है। यही नहीं एनर्जी एक्सचेंज के मुताबिक, बिजली की औसत खरीद कीमत 13 साल में उच्च स्तर पर पहुंच गई है। इस समय बिजली की औसत खरीद कीमत 8.23 रुपए प्रति किलोवाट आॅवर है। यह मार्च 2021 की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। ऐसे में मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में बिजली नियामक कंपनियों ने दाम बढ़ने के संकेत दिए हैं।

कोयला संकट के लिए सरकार क्या कर रही?

  • कोल इंडिया लिमिटेड ने पावर प्लांट में कोयले की हो रही कमी को देखते हुए सबसे पहले सप्लाई चेन को बेहतर करने का फैसला किया है। इसके लिए ट्रेनों के जरिए पहले पावर प्लांट में कोयला पहुंचाने की बात कही गई है। प्राइवेट कंपनियों में सिर्फ ट्रकों के जरिए कोयला पहुंचाया जा रहा है।
  • यही नहीं केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट कर कोयला प्रोडक्शन और सप्लाई को बढ़ाने की बात कही है। पावर प्लांट में कोयले की कमी को देखते हुए 2 मिलियन टन कोयला हर रोज प्रोडक्शन करने की बात कही गई है। कोल इंडिया ने कहा है कि 2021 में 1.43 मिलियन टन कोयले का हर रोज प्रोडक्शन होता था, जिसे अब बढ़ाकर प्रतिदिन 1.64 मिलियन टन किया गया है।

सरकार ब्लैकआउट संकट को कैसे खत्म करेगी?

  • भारत में 70 फीसदी से ज्यादा बिजली प्रोडक्शन कोयले से होता है। देश में अलग-अलग माध्यमों से बिजली प्रोडक्शन क्षमता 382.73 गीगावॉट है, जिसमें कोयले से 202.67 गीगावॉट बिजली पैदा होती है। वहीं, दुनिया के सबसे बड़े इकोनॉमी अमेरिका की बात करें तो वहां कोयला से 21 फीसदी बिजली प्रोडक्शन होती है। अमेरिका में सबसे ज्यादा बिजली जीवाश्म ईंधन से तैयार होती है।
  • यही वजह है कि केंद्र सरकार ने कोयले की कमी से होने वाले बिजली संकट या ब्लैकआउट की समस्या को परमानेंटली खत्म करने का प्लान तैयार कर लिया है। इसके लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2030 तक 280 गीगावॉट सोलर पावर पैदा करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने हर साल 25 गीगावॉट बिजली प्रोडक्शन करने के लिए सोलर पावर प्लांट लगाने का फैसला किया है।

बिजली कटौती की समस्या से कब मिलेगा छुटकारा?

  • बिजली की मांग 38 साल के उच्च स्तर पर पहुंचा है इसे देखते हुए लगता है कि गर्मी के बाद ही बिजली कटौती की समस्या दूर हो पाएगी। कुछ राज्यों ने तो बिजली संकट की स्थिति मई महीने के अंत तक रहने की बात कही है।
  • इसकी वजह यह है कि पावर प्लांट में कम से कम कोयले का स्टॉक 45 मिलियन टन होना चाहिए, लेकिन इस समय 50 से ज्यादा पावर प्लांट में महज 25.2 मिलियन टन कोयला बचा है। ऐसे में अचानक से हर रोज 2 मिलियन टन कोयला प्रोडक्शन करना सबसे पहले सरकार के सामने चुनौती होगी। इसके बाद कोयले को पावर प्लांट तक सही से पहुंचाना भी सरकार की बड़ी चुनौती होगी। खासकर तब जब पहले से प्लांट में कोयले की कमी हो।

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.