संबंधित खबरें
24-29 दिसंबर तक अमेरिकी दौरे पर रहेंगे PM Modi के खास दूत, इन मुद्दों पर होने वाली है चर्चा, पूरा मामला जान थर-थर कांपने लगा चीन-पाकिस्तान
बारिश की वजह से दिल्ली में बढ़ी ठिठुरन, पड़ने वाली है हाड़ कंपा देने वाली ठंड, जानें कैसा रहेगा पूरे हफ्ते का मौसम?
जया प्रदा के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया वारंट,पूरा मामला जान उड़ जाएगा होश
रास्ता भटक गई वंदे भारत एक्सप्रेस,जाना था कहीं और पहुंच गई कहीं और…मामला जान पीट लेंगे माथा
अजीत पवार का ‘भुजबल’ हुआ कम, भाजपा में शामिल होगा यह दिग्गज नेता! CM से मुलाकात के बाद मचा हड़कंप
'भारत नहीं पाकिस्तान के राष्ट्रपिता थे महात्मा गांधी', इस मशहूर हिंदूस्तानी ने मचाया बवाल, तिलमिला गए सुनने वाले
अजीत मैंदोला, नई दिल्ली: (Prashant Kishor)। पिछले हफ्ते हुए कांग्रेस के संकल्प शिविर में यंू तो कई मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन कुछ नेताओं के बीच चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी चर्चा में थे।उनकी चर्चा इस बात को लेकर थी कि आखिर उन्होंने कैसे कांग्रेस के आलाकमान को बातचीत के लिये तैयार किया। पहले ये खबरें थी कि महासचिव प्रियंका गांधी की मदद से उन्होंने पैठ बनाई, पर शिविर में प्रियंका के करीबी नेताओं ने इस बात को पूरी तरह से नकारा कि प्रियंका ने प्रशांत की किसी प्रकार से मदद की।
प्रियंका के करीबी नेताओं का कहना था प्रिंयका ने प्रशांत की कोई मदद नहीं की। प्रशांत ने खुद पूर्व अध्य्क्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर कांग्रेस में आने की कोशिश की। राहुल की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने फिर प्रशांत के प्रजेंटेशन के लिये बैठकें करवाई।यह सब कैसे हुआ उसको लेकर जो बात निकल कर सामने आई वह हैरानी वाली है। जो बताया गया उसके अनुसार प्रशांत ने राहुल से बात की कि वह पार्टी की मदद करना चाहते हैं। एक तरह से उन्होंने पार्टी में शामिल होने की इच्छा भी जाहिर की।
राहुल गांधी ने प्रशांत किशोर को सुना और पार्टी में शामिल करने की सहमति भी दे दी। प्रशांत को बताया गया कि उनको कांग्रेस में शामिल किया जाएगा, लेकिन उन्हें बिहार कांग्रेस की कमान संभालनी होगी। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि प्रशांत बिहार की जिम्मेदारी संभालने को तैयार हो गये थे, लोकिन उन्होंने शर्त रखी कि उनका प्रजेंटेशन अंतरिम अध्य्क्ष सोनिया गांधी के सामने रखा जाएगा। उनका प्रजेंटेशन देखा जाएगा। पसंद आने पर उस पर एक्शन हो। राहुल की मंजूरी के बाद वेणुगोपाल ने बैठकों का दौर शुरू करवाया। हालांकि बैठकों के दौरान राहुल के विदेश दौरे से साफ हो गया था कि प्रशांत को पार्टी बहुत महत्व नहीं दे रही है। बड़े नेता बैठक में आये जरूर ,लेकिन प्रशांत को लेकर बहुत रुचि नही दिखाई।प्रशांत भी समझ गये कि को कांग्रेस में दाल नही गलने वाली है। उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कुछ नही मिलने वाला है।बिहार तक सीमित रखा जाएगा, सो उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया।
दरअसल प्रशांत किशोर ने जिस तरह की राजनीति की उससे यह साफ हो गया था कि वह अपने लिए राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा प्लेटफार्म तलाश रहे थे जिससे वह 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ खुद बड़ा चेहरा बन जाएं।पहले प्रशांत ने टीएमसी,राकांपा और टीआरएस के नेताओं के माध्य्म से मोर्चा बनाने के लिये देश भर के कई दलों व नेताओं से चर्चा की।लेकिन बिना कांग्रेस के बात बनती नही दिखी।फिर उन्होंने कांग्रेस में घुसपैठ की कोशिश की,लेकिन 135 साल पुरानी पार्टी ने उन्हें उनकी हैसियत दिखा दी।मीडिया के माध्य्म से सुर्खियों में रहने वाले प्रशांत अब खुद अकेले बिहार में संघर्ष कर रहे हैं।
Connect With Us : Twitter | Facebook | Youtube
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.