(दिल्ली) : 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्र के नाम सम्बोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का हमेशा ऋणी रहेगा। देश के हर नागरिक को भारत के गौरव गाथा पर गर्व है। आगे उन्होंने कहा कि 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को, मैं हार्दिक बधाई देती हूं। शुभकामनाओं के बाद राष्ट्रपति ने जो बात कही वो हर भारतीय का दिल छू गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा ‘जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तब एक राष्ट्र के रूप में हमने मिल-जुल कर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनका हम उत्सव मनाते हैं।’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हम सब एक ही हैं और हम सभी भारतीय हैं। इतने सारे पंथों और इतनी सारी भाषाओं ने हमें विभाजित नहीं किया है बल्कि हमें जोड़ा है। इसके फलस्वरूप हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं। यही तो भारत का सार-तत्व है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह भी कहा कि भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी।
राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में यह भी कहा कि भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी। उन्होंने भारत के लगातार विकसित होने पर कहा कि पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यह उपलब्धि, आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि में प्राप्त की गई है। कोरोना काल में भारत की तैयारियों पर राष्ट्रपति ने कहा सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के बल पर हम शीघ्र ही मंदी से बाहर आ गए, और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया।
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