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India News (इंडिया न्यूज),Pune Hit and Run: पुणे में 19 मई को हुए हिट एंड रन केस में एमपी में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीश अवधिया के परिवार ने आरोपी की मां की गिरफ्तारी को जायज बताया है। परिवार का कहना है कि एक झूठ को छिपाने के लिए नाबालिग आरोपी के परिवार को हजार झूठ बोलने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि नाबालिग आरोपी को ब्लड सैंपल से छेड़छाड़ करने की क्या जरूरत थी? अनीश की मां का कहना है कि नाबालिग बेटे से लेकर पिता, दादा और अब मां भी सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं। पूरा परिवार सलाखों के पीछे है, इसके बावजूद सच को छिपाने की कोशिश की जा रही है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीश अवधिया के दादा आत्माराम अवधिया का कहना है कि लगातार हो रहे घटनाक्रम से उनका न्याय व्यवस्था से भरोसा उठता जा रहा है। घटना को अंजाम देने वाला अमीर पक्ष है। वे अधिकारियों, पुलिस और डॉक्टरों से मिलीभगत कर सबूत बदल रहे हैं। वे चाहते हैं कि पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए और इसकी निगरानी रिटायर्ड जज करें। अनीश अवधिया के चाचा सतीश अवधिया का कहना है कि पूरे मामले में सत्ता और पैसे का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। स्थानीय विधायक सुबह 5 बजे थाने पहुंच जाते हैं। खून के नमूने के साथ भी छेड़छाड़ की गई है। उन्हें अपने बेटे का शव पुणे से मप्र के उमरिया जिले में लाने में 48 घंटे लग गए। लेकिन, आरोपी नाबालिग को महज 15 घंटे में ही जमानत दे दी गई। आमतौर पर रविवार को कोर्ट बंद रहता है लेकिन रविवार को भी कोर्ट अपना काम करता है और जमानत देता है। डॉक्टरों ने भी पैसे लेकर आरोपी का ब्लड सैंपल कूड़े में फेंक दिया और उसकी जगह उसकी मां का ब्लड सैंपल पेश किया ताकि यह साबित हो सके कि आरोपी नाबालिग ने शराब नहीं पी थी।
इसके साथ ही परिवार ने मांग की है कि इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए। आरोपी को नाबालिग की बजाय वयस्क मानकर मुकदमा चलाया जाए। साथ ही, किसी बड़े सरकारी वकील के जरिए मामले की पैरवी की जाए। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए केस को सीबीआई को सौंपा जाए। इस मामले में सत्ता और पैसे का इतना प्रभाव है कि लगता नहीं कि हमें न्याय मिलेगा। लेकिन हमें अभी भी भारतीय न्याय व्यवस्था पर भरोसा है। हमें लगता है कि हमें न्याय जरूर मिलेगा।
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