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भाजपा में जाने की अटकलों को भी किया खारिज
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
कांग्रेस हाईकमान से लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहे पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का दर्द गुरुवार सुबह जुबां पर आ ही गया। ज्ञात रहे कि प्रदेश कांग्रेस में घमासान के बीच हाईकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस्तीफा मांगा था इसकी पुष्टि भी कैप्टन ने खुद ही की थी। तभी से अटकलें लगाई जा रहीं थी कि कैप्टन कांग्रेस को छोड़ देंगे।
हालांकि बुधवार शाम तक कैप्टन ने खुद को कांग्रेस में ही होने की बात की थी। वहीं गुरुवार सुबह उन्होंने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए यह घोषणा कर दी की वे कांग्रेस में नहीं रहेंगे। हालांकि उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि वे भाजपा में नहीं जा रहे।
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फरवरी 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके चलते कैप्टन का यह बयान बहुत महत्व रखता है। कल तक तो यह माना जा रहा था कि वे कांग्रेस में हैं। यह कयास लगाए जा रहे थे कि हो सकता है चुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान उन्हें पार्टी में वापस ले आए। परंतु अब उनके बयान के बाद प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण बनना तय हैं।
कैप्टन के बयान के बाद यह तय है कि वे दोनों प्रमुख दलों से दूर रहेंगे। जहां वे कांग्रेस को छोड़ रहे हैं वहीं भाजपा में जाने से इनकार कर चुके हैं। अब उनके पास एक विकल्प है कि वे अपनी नई पार्टी बनाएं। कैप्टन लंबे समय से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। उनका अपना एक विशेष प्रभाव प्रदेश के लोगों पर है। राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि कैप्टन के जाने से कांग्रेस का लगभग पांच प्रतिशत वोट बैंक प्रभावित होगा।
कैप्टन यदि अपना अलग राजनीतिक दल बनाकर आने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करते हैं तो प्रदेश के बहुत सारे विधायकों का उन्हें समर्थन मिल सकता है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि प्रदेश की मौजूदा सरकार से भी काफी विधायक नाराज हैं। मंत्रीमंडल के गठन पर कुछ विधायकों ने लिखित में अपनी नाराजगी जताई थी।
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