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इंडिया न्यूज, अंबाला:
Punjab Politics: पंजाब में सियासी भूचाल जारी है। इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू पर गंभीर आरोप लगाया है। एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल बाजवा से दोस्ती है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के मुख्यमंत्री का चेहरा बनाती है तो वे इसका विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है।
मीडिया से बात करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वे जानते हैं कि पाकिस्तान के साथ नवजोत सिंह सिद्धू के कैसे संबंध हैं। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का दोस्त है। नवजोत सिंह सिद्धू कि जनरल बाजवा के साथ दोस्ती है। रोजाना कश्मीर में हमारे जवान मारे जा रहे हैं। ऐसे में वे नवजोत सिंह सिद्धू का नाम स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू उनका मंत्री था और उसे निकालना पड़ा। 7 महीने तक अपनी फाइलें क्लियर नहीं की। क्या इस तरह का व्यक्ति जो एक विभाग नहीं संभाल सकता वो एक राज्य संभाल सकता है?
कृषि कानून और भाजपा को चेहरा
भाजपा नीत केंद्र सरकार कई मुद्दों पर घिरी नजर आ रही है। इनमें से एक महत्वपूर्ण मुद्दा है कृषि कानून। 27 साल तक राजनीतिक सहयोगी रहा शिरोमणी अकाली दल कृषि कानून के मुद्दे पर उनका साथ छोड़ चुका है। इसके अलावा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजदीकी किसी से छिपी नहीं है। पंजाब में चुनावी बिगुल बनाने के लिए भाजपा के पास चेहरे की कमी है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा को कैप्टन के रूप में चेहरा मिल सकता है। इसके अलावा वे मोदी से मिल किसानों का मुद्दा हल करा दें और मौजूदा कृषि कानूनों को होल्ड कराते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दिलवा दें तो पंजाब में कैप्टन और भाजपा-दोनों को बड़ा सियासी लाभ मिल सकता है।
Captain’s resignation तीन महीने पहले बनने लगे थे समीकरण
विधायकों, सांसदों समेत करीब 25 नेताओं ने समिति से मुलाकात कर शिकायत दर्ज करवाई थी। इनमें पूर्व मंत्री नवजोत सिद्धू भी शामिल थे। उच्च स्तरीय समिति की ओर से नेताओं को बयानबाजी से परहेज की दी हिदायत का नवजोत सिंह सिद्धू पर कोई फर्क नहीं पड़ा। समिति के सामने अपनी बात रखने के बाद बाहर आए सिद्धू के वही तेवर दिखे जो लंबे समय से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ रहे हैं। सिद्धू ने कहा, मेरा जो स्टैंड था वही रहेगा। उनका कहना है कि योद्धा वही है जो रण के अंदर जूझे। सत्य प्रताड़ित हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं।
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कैप्टन के समर्थन में भी विधायकों का गुट सक्रिय है जिसने सिद्धू के बड़बोलेपन, अनुशासनहीनता और वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की शिकायत की है। बेअंत सिंह के परिवार से विधायक गुरकीरत सिंह कोटली ने कहा, सिद्धू को इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पार्टी में नेताओं के बीच कोई टेंशन नहीं है। सबके अलग विचार हो सकते हैं अपनी बात कहने का लोकतांत्रिक अधिकार है। मीडिया में अलग अलग बातें पार्टी को कमजोर करती हैं।
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पांच महीने बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस्तीफे के बाद अमरिंदर ने कह दिया है कि फ्यूचर पॉलिटिक्स का विकल्प खुला है। उन्होंने कहा कि साथियों से चर्चा के बाद भविष्य की राजनीति पर फैसला लेंगे। अगर वे कांग्रेस से इतर अपना राजनीतिक भविष्य तलाशते हैं, तो कांग्रेस न केवल बड़ा नेता खो देगी, बल्कि चुनावों से ऐन पहले कमजोर भी पड़ जाएगी।
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