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India News (इंडिया न्यूज), Puri Stampede: ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 15 श्रद्धालु घायल हो गए। वहीं, एक श्रद्धालु की मौत हो गई। भगदड़ में घायल श्रद्धालुओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से कई श्रद्धालुओं को मामूली चोटें आई हैं। ऐसे में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। गंभीर रूप से घायल श्रद्धालुओं का इलाज जारी है। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मृतक के परिवार को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और घायलों के मुफ्त इलाज की घोषणा की है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि पुरी में रथ यात्रा के दौरान भगवान बलभद्र के तालध्वज रथ को खींचते समय दम घुटने से एक श्रद्धालु की दुखद मौत हो गई। हालांकि उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुरी में 53 साल बाद भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा दो दिनों की हो रही है हर साल होने वाली इस रथ यात्रा में हमेशा बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
पुरी रथ यात्रा में भगवान बलभद्र का रथ खींचते समय हादसा हो गया। इस दौरान एक व्यक्ति जमीन पर गिर गया। जमीन पर गिरने से श्रद्धालु की मौत हो गई। इस दौरान हल्की भगदड़ मचने से 15 लोग घायल हो गए। इस बार भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ दो दिन में अपनी मौसी के घर पहुंचेंगे। मान्यता के अनुसार भगवान यहां कई तरह के व्यंजन खाते हैं, जिससे उनकी तबीयत खराब हो जाती है। पुरी की रथ यात्रा का धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि इस रथ यात्रा में शामिल होने से 100 यज्ञ करने के बराबर पुण्य मिलता है। इस वजह से इस रथ यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
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मान्यता के अनुसार स्नान पूर्णिमा पर स्नान करने के बाद भगवान बीमार हो जाते हैं। इस साल भी स्नान पूर्णिमा के बाद भगवान स्वस्थ हो गए हैं। रथ यात्रा शुरू होने से पहले की रस्में रविवार को ही हो रही हैं। दोपहर 2.30 बजे जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को उनके रथों में विराजमान किया गया। जगन्नाथ मंदिर के पंचांगकर्ता डॉ. ज्योति प्रसाद ने बताया कि भगवान को सामान्य दिनों की अपेक्षा 2 घंटे पहले जगाया गया और मंगला आरती सुबह 4 बजे की बजाय 2 बजे की गई। मंगला आरती के बाद करीब 2.30 बजे दशावतार पूजा की गई। दोपहर 3 बजे नैत्रत्योत्सव मनाया गया और शाम 4 बजे पुरी के राजा द्वारा पूजा की गई। सुबह 5.10 बजे सूर्य पूजा और करीब 5.30 बजे द्वारपाल पूजा की गई। सुबह 7 बजे भगवान को खिचड़ी का भोग-प्रसाद चढ़ाया गया।
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