India News(इंडिया न्यूज), Raghav Magunta: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में अपना पक्ष रखा। जिसमे अरविंद केजरीवाल ने राघव मगुंटा का जिक्र किया है, केजरीवाल ने बताया है कि, राघव मगुंटा ने जमीन के लिए उनसे संपर्क किया था। उन्होंने 7 बयान दिए, लेकिन उनमें से 6 में मेरा कोई जिक्र नहीं है।’

दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने उन्हें 1 अप्रैल तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया है। इस बीच सुनवाई के दौरान उन्होंने राघव मगुंटा का जिक्र किया था और बताया था कि वह जमीन खरीदने के लिए उनसे मिले थे। केजरीवाल ने बताया कि मगुंटा श्रीनिवास ने ट्रस्ट खोलने के लिए जमीन मांगी थी। इस पर उनसे कहा गया कि आप प्रस्ताव दें और हम प्रस्ताव एलजी को देंगे। जब ईडी ने श्रीनिवासुलु के घर पर छापा मारा और बेटे को गिरफ्तार किया तो पिता ने अपना बयान बदल दिया. अब बेटे को जमानत मिल गई और वह सरकारी गवाह भी बन गया।

जानिए कौन हैं राघव मगुंटा?

बता दें कि, राघव मगुंटा वाईएसआर कांग्रेस सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के बेटे हैं। ईडी के मुताबिक, राघव मगुंटा ने विभिन्न व्यक्तियों के साथ मिलकर दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 घोटाले की साजिश रची थी। वह साजिश के प्रमुख व्यक्तियों में से एक है।’ राघव के पास प्रॉक्सी व्यक्ति प्रेम राहुल मंदुरी के माध्यम से इंडो स्पिरिट्स में 32.5 प्रतिशत हिस्सेदारी भी थी। साउथ कार्टेल का हिस्सा होने के नाते, राघव एक साजिश का हिस्सा और लाभार्थी था जिसमें साउथ ग्रुप ने आम आदमी पार्टी (आप) को लगभग ₹100 करोड़ का भुगतान किया था।

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कब का दर्ज किया गया था मामला?

राघव मगुंटा के पास चेन्नई में मौजुद एनरिका एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से शराब निर्माण इकाइयां हैं। ईडी ने कहा था कि, उन्होंने उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 का उल्लंघन करते हुए मैगुंटा एग्रो फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर दो खुदरा क्षेत्रों को सीधे नियंत्रित किया, जहां एक निर्माता को खुदरा या थोक संचालन करने की अनुमति नहीं थी। ईडी और सीबीआई ने पिछले साल मामले दर्ज किए थे, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उत्पाद शुल्क नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं। लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिए गए, लाइसेंस फीस माफ कर दी गई या कम कर दी गई और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ा दिए गए। लाभार्थियों ने आरोपी अधिकारियों को अवैध लाभ पहुंचाया और पहचान से बचने के लिए अपने खाते की किताबों में गलत प्रविष्टियाँ कीं।

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