होम / Hindu Growth Rate: जानिए… क्या है 'हिंदू ग्रोथ रेट', क्यों चिंतित हैं रघुराम राजन, 1950 के बाद अब क्यों चर्चा में आई ये 'टर्म'

Hindu Growth Rate: जानिए… क्या है 'हिंदू ग्रोथ रेट', क्यों चिंतित हैं रघुराम राजन, 1950 के बाद अब क्यों चर्चा में आई ये 'टर्म'

Gurpreet KC • LAST UPDATED : March 7, 2023, 12:54 pm IST

Hindu Growth Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ को लेकर चिंता जताई है। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ क्या है और क्यों इसे इतनी गंभीरता के साथ देखा जा रहा है। कुछ लोग ये भी सोच रहे होंगे कि ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ का हिंदू धर्म से क्या लिंक है।

  • रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था को लेकर जताई चिंता
  • ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ को लेकर बोले रघुराम राजन
  •  क्या होता है हिंदू ग्रोथ रेट, जानिए

 

तो आपको बता दें कि ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ या फिर हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ का हिंदू धर्म से किसी भी तरह का लेना देना नहीं है। लेकिन हां… वास्तव में इस ध्यान देने की आवश्यकता है। दरअसल आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात देखते हुए चिंता जाहिर की है। उनकी मानें तो भारतीय अर्थव्यवस्था ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ के खतरनाक स्तर के करीब जा पहुंचा है। चलिए पहले समझते हैं कि आखिर ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ क्या है।

 

क्या होता है हिंदू ग्रोथ रेट, वाकई हिंदू धर्म से है नाता?

बात है साल 1947 की जब आजादी के समय भारत एक गरीब देश के रूप में देखा जाता था। इस समय अधिकतर लोग कृषि पर ही निर्भर थे। साथ ही आधारभूत ढांचा काफी कमजोर होता था। इसके बाद भी 1980 के दशक तक विकास की रफ्तार काफी धीमी थी। इस दौरान सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी देश की औसत वार्षिक आर्थिक विकास दर 3.5 फीसदी के करीब ही रहा करती थी। ये ऐसा समय था जब अर्थशास्त्री और प्रोफेसर राज कृष्ण ने आर्थिक विकास दर की इस सुस्त रफ्तार को ‘हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ’ की संज्ञा दी थी। इसके बाद साल 1950 से लेकर 1970 के बीच के आर्थिक विकास की दर को हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ कहा जाता था। इस टर्म को इंडियन इकॉनोमिक ग्रोथ रेट के लो-लेवल के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

अर्थशास्त्री रघुराम राजन का क्या कहना है?

पूर्व आरबीआई गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने हाल ही में एक बयान दिया है। इसमें उन्होंने कहा “अनुक्रमिक मंदी चिंता का विषय है। निजी क्षेत्र निवेश करने को तैयार नहीं है, आरबीआई अभी भी दरों में वृद्धि कर रहा है और वैश्विक विकास इस वर्ष में धीमा होने की संभावना है। उन्होंने कहा, यह पता नहीं है कि इन सबमें हम अतिरिक्त विकासदर कहां पाएंगे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारतीय विकास दर क्या होगी।” उन्होंने ये भी कहा कि अगर हम पांच प्रतिशत वृद्धि हासिल करते हैं, तो हम भाग्यशाली होंगे।

ALSO READ: Har Payment Digital: आरबीआई ने लॉन्च किया मिशन ‘हर पेमेंट डिजिटल’, प्रत्येक नागरिक को डिजिटल भुगतान करवाने का है लक्ष्य

 

 

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.