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Rajasthan-MP and Chhattisgarh assembly elections
इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली। पांच राज्यों के विस चुनाव में मिली करारी हार से सबक लेते हुए अब कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में कोई छेड़छाड़ न करने का निर्णय किया रहा है। सूत्रों कि मानें तो यह लगभग तय हो गया है कि राजस्थान का चुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छतीसगढ़ का सीएम भूपेश बघेल और मध्यप्रदेश का चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की अगुवाई में ही लडा जायेगा।
आपको बता दें कि इन तीनों राज्यों में अगले साल के आखिर में चुनाव होने हैं। हालांकि इनसे पहले कुछ और राज्यों में चुनाव होने हैं, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस की सारी उम्मीदे राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पर ही टिकी हैं। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के नेताओं ने अपने तरीके से तैयारियां शुरू कर दी हैं।
मध्यप्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ। कमलनाथ अपने तरीके से रणनीति बना खुद मैदान में उतर रहे हैं। अभी हाल फिलहाल दो तीन नेताओं को छोड़ अधिकांश कांग्रेस कमलनाथ के पीछे खड़ी दिखाई देती है।
उधर, राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अभी से खुद मोर्चा संभाल लिया है। उनको देख उनके मंत्री भी मैदान में हैं। राज्य से जुड़े मुद्दों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार तो निशाने पर है ही, लेकिन अभी असल टारगेट किया जा रहा है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को। हालांकि बीजेपी की तरफ से अभी यह तय नहीं है कि अगला चुनाव किसकी अगुवाई में लड़ा जायेगा। लेकिन, संभावना यही जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे कर बीजेपी राजस्थान समेत सभी राज्यों के चुनाव लड़ेगी।
कांग्रेस को भी शायद इस बात का आभास है, इसलिये केंद्र के मंत्री के आड़ में प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट किया जा रहा है। मुख्यमंत्री गहलोत आमजन से सीधे जुड़े मुद्दों को लेकर मोदी सरकार को टारगेट कर रहे हैं। बिजली, पानी ,महंगाई और बेरोजगारी ऐसे मुद्दे हैं जो सीधे जनता पर असर डालते हैं। राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को गहलोत ने केंद्र के खिलाफ बड़ा हथियार बना लिया है। इस प्रोजेक्ट को लेकर मूख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच जुबानी जंग तक छिड़ी है। राज्य सरकार के मंत्रियों ने भी इस प्रोजेक्ट को लेकर शेखावत पर हमला जारी रखा है।पूरी कांग्रेस सड़कों पर उतर आई है।
दरअसल, CM गहलोत का कहना है मोदी सरकार ने पेयजल और सिंचाई की देशभर की 16 परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया है। राजस्थान कैनाल परियोजना को भी राष्ट्रीय करने का पीएम ने कई बार वायदा किया, लेकिन भारत सरकार की तरफ से आज तक कोई कारवाई नही हुई। कांग्रेस की नाराजगी इस बात को लेकर है कि गजेंद्र सिंह शेखावत खुद राजस्थान से आते हैं और इस मामले के मंत्री भी हैं फिर भी राजस्थान के साथ भेदभाव किया जा रहा है। ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट के तहत कालीसिंध, चंबल और पार्वती नदी को जोड़ा जाना है। इससे राजस्थान के दर्जन भर से ज्यादा जिलों के लोगों को पीने और सिंचाई का पानी मिलेगा।
बुधवार को कांग्रेस ने प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित करने की मांग कर कई जिलों में प्रदर्शन किया। गहलोत ने कहा हमारी मंशा है कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का काम शीघ्र पूरा हो जिससे पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पेयजल व सिंचाई का पानी मिल सके। प्रदेश सरकार ने प्रोजेक्ट पर अभी तक करीब 1000 करोड़ का व्यय किए हैं एवं इस बजट में 9600 करोड़ प्रस्तावित किए हैं।
राज्य सरकार के सीमित संसाधनों से इस परियोजना को पूरा होने में 15 साल लग जाएंगे एवं परियोजना की लागत भी बढ़ती जाएगी। केन्द्र सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देती है तो वहां से ग्रांट मिलने पर काम भी तेजी से पूरा होगा एवं कम लागत में काम हो सकेगा। गहलोत ने कहा यह समझ के परे है कि राजस्थान जैसे रेगिस्तानी एवं जल अभावग्रस्त राज्य को पानी की परियोजना को नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा नहीं मिलेगा तो किस राज्य को मिलेगा? यह स्थिति तो तब है, जब यहां के सांसद ही जलशक्ति मंत्री हैं पर वो प्रदेश के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं।उधर शेखावत का कहना है वह इस मुद्दे पर राजनीति नही करेंगे समय पर फैसला होगा।
राजस्थान में गहलोत इस बार सजग हो अलग रणनीति से चल रहे हैं। बजट में उन्होंने पुरानी पेंशन योजना बहाल कर सरकारी कर्मचारियों में पैठ बना ली। वहीं स्वस्थ्य योजना और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी जैसी योजनाएं सीधे जनता पर असर डाल रही हैं। दूसरी तरफ आम जन से जुड़े मुद्दों को लेकर मोदी सरकार पर बराबर हमलावर बने हुए हैं।
बेरोजगारी और महंगाई को लेकर प्रदेश कांग्रेस के मुखिया गोविंद सिंह डोटासरा की अगुवाई में धरने प्रदर्शन अलग चल रहे हैं। गहलोत ने नहर परियोजना के साथ रिफाइनरी को लेकर भी सक्रियता बढ़ा दी है। कांग्रेस की कोशिश यही है कि राज्य के मुद्दों में बीजेपी को उलझाया जाए। इस बार कांग्रेस ने यूपी के सीएम योगी को भी टारगेट करना शुरू कर दिया है। बुलडोजर अभियान की खिलाफत के साथ तुष्टिकरण को भी हथियार बनाया है।
उधर, छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बघेल ने भी पुरानी पेंशन योजना को लागू करवा केंद्र पर राज्य के मुद्दों को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। बघेल प्रधानमंत्री मोदी को सीधे पत्र लिख राज्य की समस्याओं को सामने रख रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की यही कोशिश है कि उपलब्धियों ओर लोकल मुद्दों पर बीजेपी को अभी से घेरा जाए। राजस्थान की तरह ही छत्तीसगढ़ बीजेपी में जमकर गुटबाजी है। इसलिये बीजेपी किसी को चेहरा नही बनायेगी। प्रधानमंत्री मोदी ही यहां पर चेहरा होंगे।उसी रणनीति पर कांग्रेस काम कर रही है।
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