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राजू श्रीवास्तव के कामयाबी के सफर पर एक नजर, कॉमेडियन के जीवन में आए कई उतार-चढ़ाव

Vir Singh • LAST UPDATED : September 21, 2022, 12:22 pm IST
  • बचपन से ही करते थे मिमिक्री, अमिताभ की नकल करने पर मिले थे 50 रुपए

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Raju Srivastava Success Story): देश के सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव भले ही एक कामयाब सेलिब्रिटी रहे, लेकिन कामयाबी के इस सफर में उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए। उनका जन्म यूपी के कानपुर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम सत्य प्रकाश था। बाद में नाम राजू श्रीवास्तव रखा गया।

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पिता से सीखा लोगों का मनोरंजन करने का गुर

राजू के पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव एक सरकारी नौकरी करते थे। इसी के साथ वह कविताएं लिखने के शौकीन थे। छुट्टियां जब होती थी तब रमेश चंद्र श्रीवास्तव कवि सम्मेलन में भाग लेते थे। उन्हें बलाई काका नाम से भी पहचाना जाता था। पिता से ही राजू ने लोगों के मनोरंजन का गुर सीखा। इसी के साथ लोगों ने राजू श्रीवास्तव को स्थानीय स्तर पर क्रिकेट के मैच में कमेंट्री करने की भी सलाह दी थी। उन्होंने इस तरह कमेंट्री भी की और इससे वह अपने हुनर को पूरे आत्मविश्वास के साथ लोगों के सामने प्रस्तुत करने लगे।

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टीचर से सजा पाई, एक टीचर ने ही दी करियर बनाने की सलाह

राजू बचपन से ही अपने घर आए मेहमानों के सामने मिमिक्री किए करते थे। वह स्कूल में अध्यापकों की भी नकल उतारकर लोगों को खूब हंसाते व गुदगदाते थे। कई अध्यापक तो उन्हें बदतमीज कहते थे और सजा भी दे देते थे। पर इसी के साथ राजू के एक अध्यापक ऐसे भी थे जो उन्हें लोगों के मनोरंजन के लिए प्रोत्साहित भी करते थे। उस अध्यापक ने ही राजू को कॉमेडी में करियर बनाने की सलाह दी थी।

अमिताभ बच्चन की फिल्म दीवार देखकर मिली प्रेरणा

राजू बचपन से ही कॉमेडियन बनना चाहते थे और यही सपना लेकर वह मुंबई पहुंचे थे। असल में कॉमेडियन बनने की प्रेरणा उन्हें अमिताभ बच्चन से मिली थी। बिग बी की फिल्म दीवार देखने के बाद राजू ने अभिनेता बनने का निर्णय लिया था। अमिताभ की मिमिक्री करके ही राजू श्रीवास्तव को टीवी पर पहचान मिली थी। वह बचपन से ही अभिनय व कॉमेडी में अपना हाथ आजमाना चाहते थे। वर्ष 1982 में इसी खारित वह लखनऊ छोड़कर मुंबई पहुंच गए थे।

चार से पांच साल तक मुंबई में आटो चलाकर गुजर-बसर किया

मुंबई में पहली बार जब राजू श्रीवास्तव आए तो उनके पास वहां न रहने के लिए घर था न खाने के लिए पैसे। घर से उन्हें कुछ पैसे भेजे गए थे वो भी जब कम पड़ने लगे तो राजू ने आटो चलाना शुरू कर दिया। राजू अपने आॅटो में बैठी सवारी को भी हंसाते थे। मुंबई में उन्हें लगभग चार से पांच साल तक संघर्ष करना पड़ा था।

एक सवारी ने ही एक दिन उन्हें स्टेज परफॉर्मेंस देने को कहा

राजू के स्टाइल से इंप्रेस होकर एक सवारी ने ही एक दिन उन्हें स्टेज परफॉर्मेंस देने को कहा। राजू मान गए और इसके उन्हें केवल 50 रुपए मिले थे। इसके बाद वह लगातार स्टेज शो करने लगे। स्टेज शो में वह अमिताभ बच्चन की भी नकल भी उतारते थे। यहीं से लोगों ने उनके लुक की तुलना बिग बी से की जानी शुरू हुई। स्टेज शो करते हुए फिल्म इंडस्ट्री के लोगों से पहचान हुई और उन्हें फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे।पहली बार 1988 की फिल्म तेजाब में वह नजर आए। इसके बाद उन्होंने करीब 19 फिल्मों में काम किया।

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