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India News (इंडिया न्यूज), MP Kartikeya Sharma: राज्य सभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने वित्त मंत्रालय से तीन अहम सवाल पूछे हैं। उन्होंने पूछा कि, मंत्रालय का उभरते हुए विकेन्द्रीकृत वित्त (डीईएफआई) क्षेत्र और देश की पारंपरिक वित्तीय प्रणाली पर इसके संभावित प्रभाव के संबंध में क्या आकलन है। दूसरा सवाल उन्होंने ये किया कि, मंत्रालय द्वारा उपभोक्ता संरक्षण, वित्तीय स्थिरता और धन शोधन प्रतिरोधी उपायों से जुड़े हुए जोखिमों का समाधान करते हुए नवोन्मेष को आगे बढ़ाने वाले डीईएफआई के लिए विनियामक ढांचे को विकसित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। तीसरा और आखिरी सवाल ये है कि, क्या इन विकेन्द्रीकृत वित्तीय उत्पादों और सेवाओं से जुड़े हुए जोखिमों और इनके लाभों के विशेष अर्थों में डीईएफआई संबंधी वित्तीय साक्षरता और उपभोक्ता जागरुकता बढ़ाने के लिए किन्हीं उपायों का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
भारत की जी 20 अध्यक्षता के अनुरोध पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) ने क्रिप्टो आस्तियों हेतु नीतियों संबंधी एक सिंथेसिस पेपर तैयार किया है। इस दस्तावेज़ में उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) से संबंधित जोखिमों सहित जोखिमों की एक विस्तृत श्रृंखला का समाधान करते हुए एक समन्वित और व्यापक नीतिगत फ्रेमवर्क प्रदान किया गया है। यह दस्तावेज़ तथाकथित विकेंद्रीकृत वित्त (डीईएफआई) की बड़े क्रिप्टो एसेट इकोसिस्टम के एक घटक के रूप में पहचान करता है। यह स्टेबलकॉइन और विकेन्द्रीकृत वित्त सहित पूरे क्रिप्टो एसेट इकोसिस्टम द्वारा व्यापक आर्थिक स्थिरता, वित्तीय स्थिरता, वित्तीय अखंडता और उपभोक्ता सुरक्षा के लिए उत्पन्न महत्वपूर्ण जोखिमों की पहचान करता है।
वित्तीय स्थिरता बोर्ड की वर्ष 2023 की एक अन्य रिपोर्ट, द फाईनेंशियल स्टेबिलिटी रिस्क ऑफ डीसेंट्रलाईज्ड फाइनेंस में विकेन्द्रीकृत वित्त क्षेत्र संबंधी विशिष्ट संवेदनशील परिस्थितियों का गहराई से आकलन किया गया है। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि विकेन्द्रीकृत वित्त क्षेत्र में जोखिम इसकी अनूठी विशेषताओं के कारण और भी बढ़ गए हैं। हालांकि, भारत में विकेन्द्रीकृत वित्त सहित क्रिप्टो एसेट इकोसिस्टम विनियमित नहीं है, किंतु भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने समय-समय पर क्रिप्टो एसेट/वर्चुअल करेंसी के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को इससे जुड़े आर्थिक, वितीय, प्रचालनात्मक, कानूनी, उपभोक्ता संरक्षण और सुरक्षा-संबंधी जोखिमों के प्रति आगाह किया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष-वित्तीय स्थिरता बोर्ड के सिंथेसिस पेपर को आधार मानते हुए, भारत सहित सभी अधिकार क्षेत्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने देश से संबंधित विशिष्ट जोखिमों का मूल्यांकन करें और क्रिप्टो एसेट इकोसिस्टम के लिए उपयुक्त विनियामक ढांचा विकसित करने के लिए मानक निर्धारण निकायों के साथ मिलकर काम करें। प्रभावी विनियामक उपाय केवल जोखिमों और नवाचार-संबंधी लाभों को समझने और संतुलित करने में महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से ही किए जा सकते हैं। हालांकि, वैश्विक स्तर पर विकेन्द्रीकृत वित्त के लिए विनियामक उपायों पर दूसरे चरण के भाग के रूप में विचार किया जा रहा है, क्योंकि विनियामक और नीतिनिर्माता बिना समर्थन वाली क्रिप्टो आस्तियों और स्टेबल कॉइन को समझने को प्राथमिकता प्रदान करते हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानक निर्धारण निकायों ने स्वीकार किया है कि विकेन्द्रीकृत वित्त के लिए विनियामक दृष्टिकोण विकसित करने की प्रक्रिया अभी भी चल रही हैं।
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