India News (इंडिया न्यूज़), Ram Mandir History: अयोध्या में जल्द ही राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है। ऐसे में देश भर के राम भक्तों के चेहरों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई है। बरसों बाद राम भक्तों का सपना सच होने जा रहा है। अब राम भक्त, भगवान राम की पूजा राम की जन्मभूमि पर ही कर सकेंगे।
मालूम हो कि 22 जनवरी को राम लला के इस भव्य मंदिर में उनका प्राण प्रतिष्ठा होगी। उस ऐतिहासिक दिन के साक्षी बनने से पहले जान लीजिए कि राम लला की जन्मभूमि पर उनका पूजन कैसे किया जाएगा। किस तरह से प्राचीन समय में रामलला की पूजा होती थी और अब कैसे होगी।
सतयुग में वैवस्वत मनु ने बनवाया था नगरी अयोध्या
मान्यता है कि भागवान की नगरी अयोध्या को सतयुग में वैवस्वत मनु ने बनवाया था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार इसी नगरी में भागवान राम का जन्म हुआ था। कई वर्षों तक अयोध्या में राम राज चला। इसके बाद ऐसा माना जाता है कि श्री राम ने खुद ही जल में समाधि ले ली। कई साल बीतने का बाद उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य इस धरती पर आखेट करने के लिए पहुंचे।
84 स्तंभों वाला एक मंदिर का किया गया निर्माण
पौराणिक कथाओं के अनुसार, उन्होंने पृथ्वी पर कुछ चमत्कारी घटना घटते देखी। फिर उन्होंने उस जगह के इतिहास के बारे में जाना और उस पर शोध किया। तब उन्हें यहां श्री राम की उपस्थिति के प्रमाण मिले। इसके बाद उन्होंने काले कसौटी पत्थरों का उपयोग करके 84 स्तंभों वाला एक मंदिर बनवाया। भगवान राम की आधिकारिक तौर पर पूजा कहाँ की गई थी?
इसके बाद में कई राजा राज्यों के बीच आये और गये। भारत में मुगल शासन की शुरुआत 14वीं शताब्दी में हुई। 1525 में, मुगल सम्राट बाबर के एक कमांडर मीर बांकी ने राम जन्मभूमि पर प्राचीन मंदिर को नष्ट कर दिया और उसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण किया।
एक मुख्य शिखर बनाया जाएगा
जिसके बाद अंग्रेजों के समय से ही राम जन्मभूमि विवाद चलता चला गया। कुछ ही दिनों में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होना है। राम मंदिर के लिए कुल 67 एकड़ जमीन दी गई है। जिसमें कुल 67 एकड़ जमीन दी गई है। इस जमीन के लिए 2 एकड़ हिस्से में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। पहले मंदिर के शिखर की ऊचाई 128 फीट तय हुई थी जो बाद में 161 फीट कर दी गई। 3 की जगह पर अब 5 गुंबद मंदिर होंगे और एक मुख्य शिखर होगा।
ये भी पढ़ें-