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अजीत मेंदोला, इंडिया न्यूज:
बीजेपी का सबसे प्रमुख सहयोगी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) भी अब मीडिया को लेकर गंभीर हो गया है। संघ भी देर सवेर मीडिया में अपनी पैठ जमाने के साथ-साथ मीडिया में अब क्या बदलाव होने चाहिये की रणनीति पर काम करेगा। हो सकता है आने वाले दिनों में देशभर मर चलाये जा रहे जनसंपर्क और पत्रकारिता के कोर्सों में बदलाव देखने को मिले।
सूत्रों की माने तो संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने खुद मीडिया से जुड़े देशभर के चुनिंदा शिक्षकों, मीडिया के जानकारों से दो दिन तक विचार विमर्श किया। सूत्रों का कहना है अलग अलग राज्यों के करीब 40-50 मीडिया के जानकारों को बैठक के लिये बुलाया गया था। सूत्रों का कहना है बैठक में बहुत विशेष चर्चा नहीं हुई, केवल अभी समझने की कोशिश की गई कि मीडिया है क्या।
दरअसल पिछले कुछ सालों में मीडिया का रोल जिस तरह से बढ़ा बढ़ा है उससे संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) भी बच नहीं पा रहा है। सोशल मीडिया, रेडियो, टीवी, प्रिंट सभी माध्यमों का समाज पर असर बढ़ता जा रहा है। कभी कभी मीडिया झूठी खबरों को भी ज्यादा प्रचार करता रहा। कभी बाम दलों का मीडिया पर बहुत प्रभाव था। हालांकि केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद बाम दलों की विचारधारा वाले पत्रकारों का दखल कम हुआ है। संघ को आभास है कि मीडिया सत्ता के हिसाब से अपने को बदल देता है।
समझा जा रहा है कि संघ की अब कोशिश रहेगी कि मीडिया में कुछ ऐसे बदलाव किये जायें जिससे उनकी विचारधारा हमेशा बनी रहे। इसलिये संघ भी हो सकता है आने वाले दिनों में प्रयोग कर बदलाव करे। जैसे संघ परिवार भी मीडिया के लिए एक एक्स्पर्ट पैनल तैयार करवाये। जो न केवल राजनीतिक और सामाजिक विषयों के साथ -साथ कूटनीति और विदेशनीति पर भी संघ की राय रखे। ऐसे संकेत हैं इसके लिये संघ का थिंक टैंक जल्द ही कुछ युवाओं को जल्द ट्रेनिंग दे जिससे मीडिया में विरोधियों से दो -दो हाथ के लिए उतारा जा सके।
सूत्रों का कहना है फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफोर्मस पर संघ से जुड़ी पोस्ट रोचकता के साथ प्रचारित करने के लिये, संघ एक अलग विंग बनाने जा रहा है, जहां से अपने विरोधियों को संघ के अधिकारिक हैंडल्ज से करारा जवाब देने के अलावा, आगामी कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी भी होगी जो संघ के कांडर में जोश भरने, और युवाओं को संघ से जोड़ने का काम करे। संघ सरकार से देशभर में पढ़ाये जा रहे मीडिया और पत्रकारिता पाठ्यक्रमों में संशोधन की वकालत कर सकता है। इसके पीछे संघ परिवार का संघ से जुड़ी विचारधारा, विजन और सेवा कार्यों को पाठ्यक्रमों में समुचित स्थान दिलाने की कोशिश करेगा।
समझा जा रहा है कि किसान आंदोलन और करोना काल के समय विपक्ष ने मीडिया प्रचार में जिस तरह बाजी मारी उससे संघ सजग हुआ है। किसान आंदोलन के समय तो राज्य सरकारों को नेट बन्द करना पड़ा था। सोशल मीडिया में विपक्ष हावी हो गया था। हालांकि बीजेपी का भी अपना बहुत बड़ा नेटवर्क है। लेकिन संघ अपनी विचारधारा को और मजबूती देने के लिये मीडिया में भी खुलकर सामने आ सकता है।
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