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India News (इंडिया न्यूज), India’s First Republic Day : आज देश अपना 76 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। हर बार की तर इस बार भी कर्तव्य पथ पर झांकियां निकलेंगी। साल 2022 में राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया था। इस फैसल के पीछे औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति और भारत की अपनी पहचान को स्थापित करने के प्रतीक को बताया गया था। कर्तव्य पथ इंडिया गेट से होकर गुजरता है, जो पहले विश्व युद्ध और दूसरे युद्धों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों का स्मारक है। 26 जनवरी 1950 आजादी मिलने के बाद पहली बार डॉ. कर्ण सिंह ने जम्मू में भारतीय तिरंगा फहराया था। तब से लेकर अब तक परेड में कई बदलाव हो चुके हैं। चलिए उन बदलावों प एक नजर डालते हैं।
भारत को आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी, 1950 की बात करें तो राजधानी दिल्ली में मौसम बेहद खुशगवार था। राजधानी की फिजाओं में पर्व का उल्लास था। देश अपने नए संविधान को लागू कर रहा था। भारत गणतंत्र राष्ट्र के रूप में दुनिया के सामने आया। इस मौके पर लोग एक-दूसरे को बधाई दे रहे थे। कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर और कालकाजी मंदिर में सैकड़ों दिल्ली वाले देश की खुशहाली के लिए प्रार्थना करने पहुंचे थे।
पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो पधारे थे। संयोग से इस बार भी गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ही मुख्य अतिथि हैं।
गणतंत्र दिवस पर लोग बड़ी बैस्बरी से फ्लाई पास्ट का इंतजार कते हैं। पहले गणतंत्र दिवस पर भी ऐसा ही कुछ हुआ। उस वक्त इदरीस हसन लतीफ भारतीय एयरफोर्स के एयर चीफ मार्शल रहे हैं। उनका देश के पहले गणतंत्र दिवस से खास नाता रहा है। दरअसल उन्हीं के नेतृत्व में उस गणतंत्र दिवस पर फ्लाई पास्ट हुआ था जिसे देखकर दिल्ली मंत्रमुग्ध हो गई थी। राजधानी ने पहले कभी लड़ाकू विमानों को अपने सामने कलाबाजियां खाते नहीं देखा था। लतीफ तब भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर थे। वह और उनके साथी हॉक्स टैम्पेस्ट लड़ाकू विमान उड़ा रहे थे। तब लड़ाकू विमानों ने वायुसेना के अंबाला स्टेशन से उड़ान भरी थी।
गणतंत्र दिवस परेड का सिलसिला 1955 से शुरू हुआ। इससे पहले 4 गणतंत्र दिवस समारोह नैशनल स्टेडियम, लाल किला और रामलीला मैदान में ही मनाए थे। इसके बाद धीरे-धीरे रेड में बालवीर पुरस्कार (नैशनल ब्रेवरी अवॉर्ड) विजेता, झाकियां, मोटर साइकिलों पर करतब दिखाते सेना और अर्धसैनिक बलों के जवान और दूसरी चीजें जुड़ती रहीं। उस वक्त ब्रिगेडियर चितरंजन सावंत ने 1980 से लेकर 2023 तक गणतंत्र दिवस परेड की कमेंट्री की थी।
13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए हमले के बाद 2002 में गणतंत्र दिवस परेड का रूट सरकार ने बदलकर छोटा कर दिया गया था। फिर रेड इंडिया गेट से ITO, दरियागंज होते हुए लाल किले पर खत्म होने लगी। इस तरह परेड ने कनॉट प्लेस में आना बंद कर दिया। जिससे दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में परेड नहीं जा पाई। पहले परेड कर्तव्य पथ से इंडिया गेट होते हुए कस्तूरबा गांधी मार्ग का रुख कर लेती थी। कस्तूरबा गांधी मार्ग से परेड कनॉट प्लेस के आउटर सर्किल का पूरा चक्कर लगाने के बाद मिन्टो रोड, थॉमसन रोड, अजमेरी गेट होते हुए लाल किले पर जाकर खत्म होती थी।
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