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India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayaan 3 Landing on Moon, नई दिल्ली: चांद पर चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान भी बाहर आ गया है। चंद्रयान के लैंडिंग के करीब 2.30 घंटे बाद प्रज्ञान लैंडर से बाहर आया। लैंडिंग के बाद धूल के पूरी तरह से शांत हो जाने के बाद इसरो ने रोवर प्रज्ञान को विक्रम से बाहर निकाला। चंद्रमा पर प्रज्ञान ने अशोक स्तंभ और इसरो (ISRO) के निशान छोड़ दिए हैं।
चांद पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद गोद में बैठे रोवर प्रज्ञान को वहां से बाहर निकालना था। रोवर प्रज्ञान के बाहर निकले के बाद अब असली मिशन शुरू होगा। प्रज्ञान और विक्रम मिलकर ISRO को चांद के दक्षिणी ध्रुव का हालचाल बताएंगे। ISRO के अनुसार, लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर आ गया है। चांद पर उसने ISRO और अशोक स्तंभ के निशान छोड़ दिए हैं। 14 दिन तक रोवर प्रज्ञान अब चांद पर रहकर स्टडी करेगा। जिसके बाद लैंडर विक्रम को डेटा कलेक्ट करके भेजेगा। धरती पर बैठे ISRO के साइंटिस्टों को यहां से सभी जानकारियां मिलती रहेंगी।
लैंडर विक्रम से बाहर आने के बाद जैसे-जैसे रोवर प्रज्ञान आगे बढ़ रहा है। वह चंद्रमा पर अशोक स्तंभ और इसरो (ISRO) के अमिट निशान छोड़ता जा रहा है। दरअसल, प्रज्ञान के पहियों पर अशोक स्तंभ और इसरो के निशान बने हुए हैं। जो जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा चांद की धरती पर अपने निशान छोड़ता जाएगा। चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिग से पहले ISRO ने इसकी जानकारी दी थी। रोवर के एक तरफ के पहियों पर अशोक स्तंभ और दूसरी तरफ के पहियों पर इसरो का निशान बने हैं।
चांद पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान काफी ज्यादा धूल उड़ने लगी थी। चांद पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्ष्ण काफी ज्यादा कम है। जिस कारण वहां पृथ्वी की तरह धूल जल्दी नीचे नहीं बैठती है। जिसके चलते ISRO के वैज्ञानिकों ने पहले धूल के बैठने का इंतजार किया। जिसके बाद रोवर प्रज्ञान को बाहर निकाला। अगर लैंडिंग के तुरंत बाद ही उसको बाहर उतार दिया जाता तो ऐसे में उसके कैमरों पर धूल जमा हो जाती। साथ ही रोवर में लगे उपकरणों को भी काफी ज्यादा नुकसान हो सकता था। जिस कारण मिशन पूरा करने में रोवर को समस्या हो सकती थी।
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