इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Russia and Ukraine Update रूस और यूक्रेन के बीच का तनाव फिलहाल कम होता दिखाई नहीं दे रहा है। इसकी मुख्य वजह यह भी है कि एक अपना व्यापारिक हित तो दूसरा खुद को महाशक्ति के रूप में दिखाना है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में रूस के साथ अमेरिका और अन्य सदस्यों ने युद्ध चिंता जाहिर की। दो दिन पहले ही रूस ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें रूसी टैंकों को यूक्रेन की सीमा से वापस जाते दिखाया गया। इससे सभी देशों ने राहत की सांस ली थी। वहीं, एक बार फिर से यह संकट गहराता दिखाई दे रहा है। यदि रूस यूक्रेन में युद्ध हुआ तो अमेरिका कितना यूरोपीय देशों का साथ दे सकेगा।
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अनुराधा शिनोए का मानना है कि जर्मनी और फ्रांस यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। वहीं लगभग समूचा यूरोप ही कई सारी चीजों के लिए रूस पर निर्भर करता है। इसमें तेल और गैस सबसे अहम हैं। जर्मनी रूस की गैस और तेल का सबसे बड़ा खरीददार है। इसके बाद फ्रांस का नाम आता है। इनके अलावा यूरोप के सभी देश रूस की गैस और तेल का उपयोग करते हैं। रूस पहले ये सप्लाई यूक्रेन से गुजरने वाली पाइपलाइन से करता था।
कुछ यूरोपीय देश भले ही अमेरिका का साथ दे रहे हैं लेकिन यह एक हकीकत है कि रूस का पलड़ा कई मायनों में भारी है। अमेरिका भले ही यह कह रहा है कि युद्ध छिड़ने की सूरत में वह रूस की इस पाइपलाइन को रोक देगा और रूस पर अधिक कड़े प्रतिबंध लगा देगा। किसी भी सूरत में जर्मनी या फ्रांस इसका समर्थन कर अपने विकास के पहिए को रोकने या उसको किसी भी तरह से बाधित करने की इजाजत नहीं देगा। यदि ऐसा हुआ तो इसकी कीमत रूस को कम और पूरे यरोप को अधिक उठानी होगी।
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