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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Russia Ukraine Controversy : रूस यूक्रेन के दोनबास इलाके में बिगड़ती स्थिति को संभालने के लिए कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी आॅगेर्नाइजेशन की शांति सेना उस इलाके में भेजने की योजना पर काम कर रहा है। सीएसटीओ में रूस सहित कई पूर्व सोवियत गणराज्य शामिल हैं। मोटे तौर पर यह मध्य एशिया में आने वाले देशों का एक संगठन है।
रूस का मानना है कि सीएसटीओ का दल दोनबास में तैनात होने से वहां शांति कायम करने में मदद मिलेगी। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऐसी तैनाती तभी हो सकती है, जब उसके लिए यूक्रेन और पश्चिमी देश सहमत हो। पश्चिमी देशों के इस प्रस्ताव मानने की संभावना कम है। अमेरिका पहले ये आरोप लगा चुका है कि सीएसटीओ असल में रूस के हित साधने वाला एक सैन्य संगठन है।
सीएसटीओ के महासचिव स्टैनिस्वाल जास ने रूस की योजना की पुष्टि की है। एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में उन्होंने उन कदमों की चर्चा की, जो सीएसटीओ यूक्रेन में स्थिरता कायम करने के लिए उठा सकता है।
जास ने कहा कि सीएसटीओ अशांति ग्रस्त क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि आप हमारी बात पर भरोसा कीजिए। हम जितनी जरूरत हो, उतने सैनिक वहां भेज सकते हैं। अगर तीन हजार सैनिकों की जरूरत है, तो हम भेज सकते हैं। अगर 17,000 सैनिकों की जरूरत हो, तो यह तैनाती भी हम कर सकते हैं।
पश्चिमी देशों की सीएसटीओ के बारे में अब तक यही राय है कि यह निष्पक्ष संगठन नहीं है। इसलिए यूक्रेन जैसे विवाद में वह निष्पक्ष भूमिका निभा पाएगा, इसको लेकर संदेह है लेकिन रूस ने अगर ये नया प्रस्ताव उछाला है, तो उसे हलके से नहीं लिया जा सकता। बल्कि उससे ये अंदेशा भी पैदा हुआ है कि रूस एकतरफा ढंग से सीएसटीओ के सैन्य दल दोनबास इलाके में तैनात करने की कोशिश कर सकता है।
कजाखस्तान में सरकार विरोधी प्रदर्शन भड़क उठे थे। तब सीएसटीओ के सैनिक वहां भेजे गए थे। उनमें रूस सहित कई देशों के सैनिक शामिल थे। उस समय अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा था कि कजाखस्तान में सीएसटीओ के दल की तैनाती दुर्भावना पूर्ण है। उन्होंने यह शक भी जताया था कि ये सैनिक वहां से जल्द नहीं लौटाए जाएंगे। हालांकि हफ्ते भर के अंदर सीएसटीओ का दल कजाखस्तान से लौट गया था।
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