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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
रूस और यूक्रेन का युद्ध आज लगातार 19वें दिन भी जारी है, और कब तक समाप्त होगा अभी इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। इसी स्थिति को देखते हुए ब्रिटेन-अमेरिका ने अंदेशा जताया है कि रूस यूक्रेन पर केमिकल हथियारों (Chemical Weapons) का प्रयोग कर सकता है। वहीं यूक्रेन की तरफ से रूस को चेतावनी दी गई है कि अगर उसने ऐसा कुछ भी किया तो उसे और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। तो आइए जानते है केमिकल हथियार क्या हैं, और कितने घातक होते हैं। किन देशों में इन हथियारों का हो चुका प्रयोग। (Chemical Weapons Russia-Ukraine War)
केमिकल वेपन एजेंट्स क्या: केमिकल वेपन एजेंट्स यानी सीडब्ल्यूए घातक पदार्थ होते हैं, जिनसे केमिकल हथियार बनाया जाता है। केमिकल वेपन एजेंट्स से शरीर को नुकसान न केवल युद्ध, बल्कि इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट से हो सकते हैं।
केमिकल हथियारों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल या गैसों यानी केमिकल वेपन एजेंट्स या तत्वों यानी सीडब्ल्यूए के आधार पर सबसे घातक केमिकल हथियार को पांच कैटेगरीज में बांट सकते हैं।
नर्व एजेंट: नर्व एजेंट्स को अक्सर नर्व गैस भी कहते हैं। इनसे सबसे खतरनाक केमिकल हथियार बनते हैं। ये शरीर के नर्वस सिस्टम पर असर डालते हैं। स्किन या फेफड़ों के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। इसकी छोटी सी डोज कुछ ही सेकेंड में किसी भी इंसान को मार सकती है। इनमें सरीन, सोमन, ताबुन और साइक्लोसरीन और वीएक्स शामिल हैं। इनमें सबसे घातक है वीएक्स, सरीन और ताबुन। ये लिक्विड, एयरोसोल, वाष्प और धूल के रूप में फैलते हैं।
चोकिंग एजेंट: ये खतरनाक केमिकल तत्व श्वसन अंगों पर असर डालते हैं। ये नाक, गले और खासतौर पर फेफड़ों में जलन पैदा करते हैं। ये फेफड़ों के जरिए शरीर में जाते हैं और इससे फेफड़ों में पानी बनने लगता है, जिससे पीड़ित का दम घुट जाता है। इनमें क्लोरीन, क्लोरोपिक्रिन, डिफोसजीन, फॉस्जीन आदि गैसें शामिल हैं। इसमें सबसे खतरनाक फॉस्जीन और क्लोरीन है। यह गैस के रूप में फैलते हैं।
ब्लड एजेंट: ये खतरनाक केमिकल शरीर में खून के सेल पर असर डालते हैं और शरीर में आॅक्सीजन ट्रांसफर को रोक देते हैं, जिससे इंसान का दम घुट जाता है। ये सांसों के जरिए प्रवेश करते हैं। इनमें हाइड्रोजन साइनाइड, सायनोजेन क्लोराइड और आर्सिन गैसें शामिल हैं। इनमें सबसे घातक हाइड्रोजन साइनाइड, आर्सिन है। यह गैस के रूप में फैलते हैं।
ब्लिस्टरिंग एजेंट: केमिकल हथियारों में इनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इनमें सल्फर मस्टर्ड, नाइट्रोजन मस्टर्ड, लेविसाइट, और फॉस्जीन आॅक्सीम शामिल हैं। ये स्किन और फेफड़ों के जरिए शरीर में एंट्री करते हैं। ये घातक केमिकल आयली पदार्थ होते हैं, जो आंखों, श्वसन अंगों और फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। इससे घातक फफोले पड़ जाते हैं या शरीर में जलने जैसे घाव बन जाते हैं। इससे आदमी अंधा हो सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है। इसमें सल्फर मस्टर्ड सबसे खतरनाक है। यह लिक्विड, एयरोसोल, वाष्प और धूल के रूप में फैलते हैं।
रॉयट कंट्रोल एजेंट: ये सबसे कम घातक केमिकल एजेंट्स हैं। इनका इस्तेमाल आंखों, मुंह, गले, फेफड़े या स्किन में अस्थायी जलन पैदा करने के लिए होता है। आंसू गैस और पेपर स्प्रे इस तरह के हल्के केमिकल हथियार के उदाहरण हैं। ये फेफेड़ों और स्किन के जरिए शरीर में घुसते हैं और इससे आंखों में आंसू आना, आंखों, स्किन, नाक और मुंह में जलन होना। कई बार इससे सांस लेने में भी दिक्कत होती है। इसका इस्तेमाल भीड़ को नियंत्रित करने में होता है। ये ब्रोमोएसीटोन का आंसू गैस व कैप्साइसिन पेपर स्प्रे है। यह लिक्विड, एयरोसोल के रूप में फैलता है।
Russia’s Chemical War Threatens Ukraine
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