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India News,(इंडिया न्यूज),S Jayshankar: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर(S Jayshankar) आसियान और बिम्सटेक समूहों की बैठक के लिए बुधवार को इंडोनेशिया और थाईलैंड के लिए रवाना होंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए निर्देश के अनुसार, विदेश मंत्री पहले इंडोनेशिया पहुंचेंगे फिर वहां से थाईलैंड जाएंगे। बता दें कि, जयशंकर ने मंगलवार को मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शहीद से मुलाकात की।
मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद से भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मुलाकात हुई जहां मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि, मालदीव हिंद महासागर का दिल है। इस क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और स्थिरता में अपनी और भारत की अहम भूमिका को समझता है। इसके बाद छोटे द्वीपीय देशों की मुश्किलों पर चर्चा करते हुए कहा, अक्सर हमारे जैसे देशों की क्षमताओं पर सवाल खड़े किए जाते हैं और बड़ी भूमिकाओं से हमें दरकिनार किया जाता है।
इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स में 43वें सप्रू हाउस व्याख्यान के दौरान उन्होंने कहा कि, मालदीव रणनीतिक रूप से बेहद अहम जगह पर मौजूद है। दोनों देशों ने सामुदायिक विकास से जुड़ी 9 परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए। जिसके बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि, मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के साथ आज एक गर्मजोशी भरी और सार्थक बैठक हुई। हमारी विकास साझेदारी में निरंतर प्रगति के बारे में जानकर उत्साहित हूं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर आज इंडोनेशिया और थाईलैंड के लिए रवाना होंगे। जहां जकार्ता में जयशंकर दो दिनी आसियान-भारत, पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन और आसियान क्षेत्रीय देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। जिसकी जनकारी देते हुए विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि, वह अन्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। बता दें कि, रविवार को मेकांग गंगा सहयोग की 12वीं विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए बैंकॉक जाएंगे।
एमजीसी भारत, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम की एक पहल है। एमजीसी गंगा और मेकांग नदी की घाटियों को साझा करने वाले छह सदस्यीय देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है। 17 जुलाई को बैंकॉक में जयशंकर बिम्सटेक विदेश मंत्रियों के रिट्रीट में भी शामिल होंगे। बिम्सटेक एक आर्थिक और तकनीकी पहल है। बिम्सटेक बहुआयामी सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी वाले देशों को एक साथ लाती है। रिट्रीट में एजेंडे को और अधिक गहरा करने और संगठन को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा होगी।
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