इंडिया न्यूज, Punjab News। sidhu moosewala murder : जुर्म की दुनिया में अपने नाम का सिक्का जमा चुका देश का सबसे स्मार्ट गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई जिसकी जुर्म की कहानी उसकी उम्र से कई गुना ज्यादा है। लारेंस की उम्र महज 28 साल ही है, लेकिन उसका अपराध का ग्राफ काफी ऊपर जा चुका है। वहीं आज लारेंस बिश्नोई ने सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी ली है। लारेंस बिश्नोई इस समय राजस्थान की अजमेर जेल में है। उसने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि राम राम भाई सबको…आज जो सिद्धू मूसेवाला का कत्ल (sidhu moosewala murder) हुआ है, उसकी जिम्मेदारी मैं और मेरा भाई गोल्डी बरार लेता है। आज लोग हमें जो भी कहें लेकिन इसने हमारे भाई विक्की मिड्डूखेड़ा की हत्या में मदद की थी। आज हमने अपने भाई का बदला ले लिया है।
अबोहर पंजाब का रहने वाला है लारेंस बिश्नोई
लारेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) एक भारतीय गैंगस्टर है जो अबोहर पंजाब का रहने वाला है। वह बहुत खतरनाक है क्योंकि वह जेल से भी अपनी आपराधिक गतिविधि संचालित करता है। उनका नेटवर्क ज्यादातर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में फैला हुआ है। देश ही नहीं विदेश में भी लारेंस के लिंक हैं।
इतना ही नहीं वह जेल में बैठा-बैठा मर्डर की जिम्मेदारी लेता है। वह खुद को भगत सिंह का भक्त बताता है। वो जेल की दीवारों पर भी भगत सिंह की पोस्टर लगाता है। पुलिस गिरफ्त में आता-जाता भी वह अपनी मूंछ पर ताव देता है।
लारेंस बिश्नोई का जन्म कहां हुआ?
लारेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) का जन्म पंजाब पुलिस में कांस्टेबल लविंदर बिश्नोई के घर 22 फरवरी 1992 को पंजाब का फजिल्लका शहर में हुआ था। उसकी मां ने ही उसका नाम लारेंस विश्नोई रखा था। बताया जाता है कि पैदा होते ही उसके चेहरे के तेज को देखकर ही उसकी मां ने यह नाम रखा था। वैसे लारेंस एक क्रिश्चियन नाम है। जिसका मतलब होता है सफेद चमकने वाला।
हजारों युवा करते हैं फॉलो
गूगल पर लारेंस बिश्नोई के नाम से एक नहीं 150 से ज्यादा फेसबुक अकाउंट मिलते हैं। सैकड़ों वीडियो और फोटो मिल भी उसके नाम से देखे जा सकते हैं। वहीं हजारों युवा लारेंस बिश्नोई को फालो करते हैं।
पिता थे पुलिस में, बेटा बन गया मुजरिम
बचपन में माता पिता बेटे के खेल कूद और तेज को देखकर कहते थे कि एक न एक दिन नाम रोशन जरूर करेगा लेकिन क्या पता था कि नाम खेल की दुनिया नहीं बल्कि जुर्म की दुनिया में रोशन होगा। बता दें कि उसके पिता पुलिसवाले थे और मां भी पढ़ी-लिखी थी। घर में करोड़ों की संपत्ति थी।
छात्र चुनाव की हार ने बनाया गैंगस्टर
बता दें कि लारेंस पीयू से छात्र चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे। वह छात्र समूह का अध्यक्ष बनना चाहता था। छात्र नेता बनने की इच्छा से वह चुनाव लड़ते हैं। उन्होंने एक रडढव नाम के छात्र समूह की स्थापना की और चुनाव के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन दुर्भाग्य से, वह चुनाव हार गए।
हार की आक्रामकता में लारेंस ने कॉलेज में फायरिंग की। लारेंस और उनकी विपक्षी पार्टी आमतौर पर कुछ सामान्य समस्याओं के कारण हर दिन लड़ते थे लेकिन यह आम झगड़ा एक दिन गिरोह युद्ध में बदल गया।
पहली बार आपसी झगड़े में की थी फायरिंग
जानकारी अनुसार सेक्टर 11 में पहली बार आपसी झगड़े के दौरान लारेंस (Lawrence Bishnoi) ने विपक्षी पार्टी पर फायरिंग की। यह पहला मौका था जब लारेंस के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उस दिन से हर कोई लारेंस का नाम ले रहा था और लारेंस फायरिंग और पुलिस केस की वजह से मशहूर हो गया। यह उनके जीवन का टर्निंग पाइंट था।
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