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Leh Ladakh Curfew: लेह लद्दाख का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के मन में प्राकृतिक खूबसूरती और शांति की तस्वीर उभर कर आती है, लेकिन हाल की घटनाओं ने इस तस्वीर को तोड़ कर रख दिया है. कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद पर्यटको को बड़ा झटका लगा है.
क्या हैं पूरा मामला?
जानकारी के लिए बता दें कि, 24 सितंबर को लेह एपेक्स बॉडी के आह्वान पर बुलाए गए बंद के दौरान हालात बिगड़ गए. राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के प्रावधान लागू करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण शुरू हुआ आंदोलन देखते-देखते हिंसा में बदल गया. झड़पों में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक लोग घायल हुए. इसके बाद प्रशासन ने लेह शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू और इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी.
क्या हैं पर्यटकों का हाल?
कर्फ्यू लगने से न केवल स्थानीय जनजीवन ठप हुआ बल्कि यहां आए पर्यटक भी अचानक असहज परिस्थितियों में फंस गए. ताइवान की एक पर्यटक शीना ने बताया कि शहर में सब कुछ बंद होने के कारण वे अपनी currancy तक नहीं बदल पा रही थीं और भोजन खरीदने में भी दिक्कतें आईं. पैंगोंग झील घूमने की उनकी योजना परमिट न मिलने के कारण अधूरी रह गई. वहीं दिल्ली से आई एक पर्यटक ने भी निराशा जताई कि इंटरनेट बंद और बाज़ार बंद होने के कारण वे कहीं जा नहीं सके और पूरा समय होटल के कमरे तक ही सीमित रहना पड़ा.
पर्यटन उद्योग को गहरा झटका
लद्दाख का बड़ा हिस्सा प्रत्यक्ष रूप से पर्यटन पर निर्भर है. होटलों से लेकर टैक्सी और गाइड तक, हजारों परिवारों की आजीविका पर्यटकों पर टिकी है. लेह के होटल मैनेजर नसीब सिंह ने बताया कि पिछले एक हफ्ते से बुकिंग कैंसिल होने का सिलसिला लगातार जारी है. सामान की आपूर्ति बाधित होने से होटलों में बुनियादी सुविधाएं देना भी चुनौती बन गई है.
स्थानीय ट्रांसपोर्टर रिग्ज़िन दोरजे ने कहा कि हालात ने उन्हें एक बार फिर झटका दिया है. उन्होंने याद दिलाया कि इसी साल अप्रैल में पहलगाम हमले के बाद भी पर्यटन लगभग ठप्प हो गया था। उस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी और भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव बढ़ गया था. ऑपरेशन सिंदूर के बाद धीरे-धीरे पर्यटक लौटने लगे थे, लेकिन अब हालात और बिगड़ गए हैं.
वहीं, एक होटल व्यवसायी, जिन्होंने अपना नाम न बताने का आग्रह किया, ने कहा कि अनिश्चितता का हर दिन हजारों परिवारों की आय पर सीधा असर डाल रहा है. स्थानीय हितधारक लगातार यही प्रार्थना कर रहे हैं कि हालात जल्द सामान्य हों, क्योंकि लद्दाख की पहचान ही पर्यटन और आतिथ्य पर आधारित है.