Sony Zee Deal: Sony ने तोड़ी जी एंटरटेनमेंट के साथ डील? जापानी कंपनी का बड़ा आरोप

India News (इंडिया न्यूज़), Sony Zee Deal: सोनी ग्रुप के भारतीय कारोबार की विलय योजना रद्द करने का मुख्य कारण वित्तीय शर्तें थीं। दरअसल, ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज ने डील की वित्तीय शर्तों को पूरा नहीं किया। यह खबर इसलिए अहम है क्योंकि अब तक मीडिया रिपोर्ट्स में माना जा रहा था कि मर्ज की गई इकाई में जी एंटरटेनमेंट के सीईओ पुनित गोयनका के नेतृत्व को लेकर विवाद है। आपको बता दें कि 22 जनवरी को जापान के सोनी ग्रुप ने अपने भारतीय कारोबार को जी एंटरटेनमेंट के साथ विलय करने की योजना रद्द कर दी थी। यदि विलय योजना लागू होती है, तो नई इकाई का मूल्य 10 बिलियन डॉलर होगा।

ज़ी एंटरटेनमेंट ने ने कही टर्मिनेशन नोटिस की बात

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने विलय को रद्द करने के लिए सोनी द्वारा ज़ी एंटरटेनमेंट को भेजे गए समाप्ति पत्र की समीक्षा की है। रॉयटर्स के मुताबिक, सोनी के नोटिस में कहा गया है कि ज़ी एंटरटेनमेंट नकदी उपलब्धता के संबंध में कुछ वित्तीय सीमाओं को पूरा करने के लिए व्यावसायिक रूप से उचित प्रयास करने में विफल रहा है। इस पर व्यावसायिक सोच की कमी का भी आरोप लगाया गया है। 62 पन्नों के नोटिस में सोनी ने कहा कि विलय समझौते के कई उल्लंघन सुधार योग्य नहीं हैं और चर्चा का कोई भी प्रयास महज औपचारिकता है। इसका मतलब यह है कि सुधारों के लिए जो भी चर्चाएं हो रही थीं, वे महज औपचारिकताएं थीं। सोनी के समाप्ति नोटिस में कहा गया है कि ज़ी द्वारा किए गए उल्लंघन ‘प्रक्रियात्मक या तकनीकी’ प्रकृति के नहीं थे। जानकारी के लिए बता दें कि ना तो सोनी और ना ही ज़ी एंटरटेनमेंट ने टर्मिनेशन नोटिस की बात सार्वजनिक की है।

जी ने आरोप से  किया इनकार

आपको बता दें कि जी एंटरटेनमेंट ने टर्मिनेशन नोटिस में लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही जापानी कंपनी की 90 मिलियन डॉलर की टर्मिनेशन फीस की मांग को कानूनी तौर पर गलत करार दिया गया है। जी एंटरटेनमेंट के मुताबिक, ये टर्मिनेशन गलत इरादे से किया गया है। यह कानून के मुताबिक सही नहीं है।

कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए तैयारी

आपको बता दें कि सोनी के विलय सौदे को रद्द करने के फैसले के खिलाफ ज़ी एंटरटेनमेंट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में याचिका दायर की है। इसके अलावा, कंपनी ने समाप्ति शुल्क के रूप में सोनी के 90 मिलियन डॉलर (लगभग 748.5 करोड़ रुपये) के दावों को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कार्रवाई भी शुरू की है। वहीं, जापानी कंपनी ने इस दावे को लेकर सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) से संपर्क किया है।

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Himanshu Pandey

इंडिया न्यूज में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर काम कर रहा हूं। ऑफबीट सेक्शन के तहत काम करते हुए देश-दुनिया में हो रही ट्रेंडिंग खबरों से लोगों को रुबरु करवाना ही मेरा मकसद है। जिससे आप खुद को सोशल मीडिया की दुनिया से कटा हुआ ना महसूस करें ।

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