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India News(इंडिया न्यूज), Hemant Soren:झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के राजभवन में झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बुधवार को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद हेमंत सोरेन ने राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया और कई विधायकों के समर्थन पत्र भी सौंपे। आईए जानते हैं हेमंत सोरेन के जेल जाने से लेकर राजनीतिक जीवन का उतार-चढ़ाव कैसा रहा?
बता दें कि महज 38 साल की उम्र में झारखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर बागडोर संभालने से लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने तक हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। सोरेन अपने पिता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) प्रमुख शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत के लिए पहली पसंद नहीं थे, लेकिन 2009 में अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन की मौत के बाद हेमंत ने राजनीति में अपने पैर जमाना शुरू कर दिया।
हालांकि, ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद सोरेन ने ‘एक्स’ पर कवि शिवमंगल सिंह सुमन की एक कविता की पंक्तियां पोस्ट कीं, “यह विराम है, जीवन एक महान युद्ध है। हर पल लड़ा हूं, हर पल लड़ूंगा, लेकिन समझौते की भीख नहीं मांगूंगा। हार हो, जीत हो; मैं बिलकुल नहीं डरूंगा। छोटापन अब मुझे छू न पाए; तुम महान हो, बने रहो। मेरे लोगों के दिल का दर्द, मैं व्यर्थ नहीं हारूंगा, मैं हार नहीं मानूंगा…. जय झारखंड।”
हेमंत सोरेन को राजनीति विरासत में मिली है। वे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के बेटे हैं। झारखंड में शिबू सोरेन को गुरुजी के नाम से भी संबोधित किया जाता है। शिबू सोरेन के तीन बेटे और एक बेटी थी। सबसे बड़े बेटे दुर्गा सोरेन का निधन हो चुका है। दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन अब बीजेपी में हैं। बेटी अंजलि सोरेन राजनीति से दूर हैं। जबकि हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन दोनों ही राजनीति में सक्रिय हैं। हेमंत सोरेन की शादी कल्पना सोरेन से हुई है। कल्पना भी अब सक्रिय राजनीति में उतर चुकी हैं। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के 2 बच्चे हैं, जिनका नाम निखिल और अंश है।
शिबू सोरेन के मझले बेटे हेमंत सोरेन पढ़ाई अधूरी छोड़ राजनीति में आ गए। उन्होंने 2005 में पहली बार दुमका सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जेएमएम के बागी स्टीफन मरांडी से हार गए। इसके बाद 2009 में उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता। 2009 में वे कुछ समय के लिए राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। 2010 में गठबंधन की अर्जुन मुंडा सरकार में वे उपमुख्यमंत्री बनाए गए, हालांकि बाद में उन्होंने समर्थन वापस ले लिया और इस्तीफा दे दिया।
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2013 में उन्होंने पहली बार राज्य की कमान संभाली। उन्होंने 13 जुलाई 2013 से 28 दिसंबर 2014 तक राज्य पर शासन किया। 2014 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी और हेमंत सोरेन को विपक्ष का नेता बनाया गया। 2019 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद वे दोबारा सीएम बने और अब तीसरी बार सीएम बनने जा रहे हैं।
राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन पर खनन पट्टे के कथित नवीनीकरण के मामले में 2022 में विधायक के रूप में अयोग्य ठहराए जाने का खतरा मंडरा रहा था, जिसके कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ सकता था। इसी वर्ष पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में राज्य के तीन कांग्रेस विधायक करीब 49 लाख रुपये नकद के साथ पकड़े गए थे।
सोरेन के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन ने आरोप लगाया था कि यह सब सरकार गिराने की भाजपा की साजिश का हिस्सा था। तमाम समस्याओं के बीच सोरेन ने खुद को राज्य के प्रमुख आदिवासी समुदाय की एक मजबूत आवाज के रूप में स्थापित किया। सामाजिक कल्याण कार्यक्रम उनके शासन की विशेषता रहे हैं, जिसमें ‘आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार’ जैसी पहल के साथ सेवाओं की डोर-टू-डोर डिलीवरी सुनिश्चित करना से लेकर अधिक से अधिक लोगों को शामिल करने के लिए राज्य सरकार की पेंशन योजना का विस्तार करना शामिल है।
वे राज्य में आदिवासियों को खनन गतिविधियों का आर्थिक लाभ पहुंचाने के भी प्रबल समर्थक रहे हैं। सोरेन (48) को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री पद के लिए वरिष्ठ झामुमो नेता चंपई सोरेन का नाम प्रस्तावित किया गया है।
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