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Sri Lanka crisis जानिए क्यों पाई-पाई को मोहताज हुई ”श्रीलंका”

इंडिया न्यूज:
श्रीलंका में आर्थिक संकट (Sri Lanka crisis) को लेकर देश में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। बताया जा रहा है कि श्रीलंका आज तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। यह संकट इतना बढ़ा है कि देश गृह युद्ध के मुहाने पर पहुंच चुका है। जगह-जगह आगजनी और हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार को त्रिंकोमाली नेवल बेस में छिपना पड़ा है।

श्रीलंका में क्यों बिगड़े हालात

श्रीलंका सरकार ने जब विदेशी आयात पर प्रतिबंध लगाया तो रसायनिक खाद की कमी पाई गई है, जिसके बाद सरकार ने पूरे श्रीलंका में जैविक खेती को अनिवार्य बना दिया। रसायनिक खाद की जगह जैविक खाद की तरफ रूख करने से खाद्य उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ। सरकार के इस फैसले के चलते श्रीलंका का कृषि उत्पादन आधा रह गया है। विदेशी आयात पर प्रतिबंध और जैविक खेती की वजह से श्रीलंका में सामान की कमी हुई और कीमतें इतनी ज्यादा अनियंत्रित हो गईं कि श्रीलंका में आर्थिक आपातकाल की नौबत आ गई।

श्रीलंका की इकोनॉमी अर्श से फर्श पर

  • आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था दो साल पहले तक दक्षिण एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक मानी जाती थी। कोरोना महामारी की दस्तक से पहले 2019 में विश्व बैंक ने श्रीलंका को दुनिया के हाई मिडिल इनकम वाले देशों की कैटेगरी में अपग्रेड किया था, लेकिन दो साल में श्रीलंका की इकोनॉमी अर्श से फर्श पर आ गई।
  • श्रीलंका पर लगभग 51 अरब डॉलर (करीब 3.88 लाख करोड़ रुपए) विदेशी कर्ज है, जिसमें चीन का हिस्सा 10 फीसदी है। श्रीलंका सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर चीन से कर्ज लिया, लेकिन इसका सही तरीके से उपयोग नहीं किया।
  • श्रीलंका अब अपना विदेशी कर्ज लौटा पाने में असमर्थ हो चुका है। उसने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी श्रीलंका में महंगाई दर 17 फीसदी को पार कर चुकी है, जो पूरे दक्षिण एशिया के किसी भी देश में महंगाई का सबसे भयानक स्तर है।

श्रीलंका में जरूरी सामान की कमी

2018 में जहां श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर था, वो फरवरी 2022 में गिरकर 2.31 अरब डॉलर रह गया। श्रीलंका सरकार ने मार्च 2020 में विदेशी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। ताकि विदेशी मुद्रा को बचाया जा सके, लेकिन उसका भी कोई खास असर नहीं पड़ा। उल्टे विदेशी आयात पर बैन लगाने की वजह से श्रीलंका में जरूरी सामान की कमी हो गई।

आधा सोना बेचना पड़ा

श्रीलंका के पास पैसों की इतनी किल्लत है कि सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका को अपने पास रखे गोल्ड रिजर्व में से आधे बेचना पड़ा है। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पास 2021 की शुरूआत में 6.69 टन सोने का भंडार था, जिसमें से 3.6 टन सोना बेचा गया।

51 अरब डॉलर के कर्ज में डूबा श्रीलंका

श्रीलंकाई रुपये की वैल्यू पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले 80 फीसदी से ज्यादा कम हो चुकी है। मार्च में श्रीलंका में 1 डॉलर की कीमत 201 श्रीलंकाई रुपये थी जो अब 360 श्रीलंकाई रुपये पर आ चुकी है। श्रीलंका के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2021 तक श्रीलंका के ऊपर कुल 35 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो एक साल में बढ़कर अब 51 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है।

श्रीलंका पर जेडीपी का 104 फीसदी है विदेशी कर्ज

सेंट्रल बैंक आफ श्रीलंका अनुसार इस समय श्रीलंका के ऊपर कुल 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। विश्व बैंक के मुताबिक श्रीलंका के ऊपर विदेशी कर्ज की रकम उसकी कुल जेडीपी का 104 फीसदी हो चुका है। श्रीलंका को अगले 12 माह में विदेशी कर्ज की किश्तें भरने के लिए 7.3 अरब डॉलर की जरूरत है जबकि अगले चार साल यानी 2026 तक 26 अरब डॉलर का भुगतान विदेशी कर्ज की किश्तों के तौर पर करना है।

टूरिज्म सेक्टर को क्यों लगा झटका

श्रीलंका की जेडीपी में टूरिज्म का 10 फीसदी से ज्यादा योगदान है। यह श्रीलंका के लिए विदेशी करेंसी का तीसरा सबसे बड़ा सोर्स है। श्रीलंका के टूरिज्म सेक्टर पर 5 लाख श्रीलंकाई सीधे तौर पर और 20 लाख अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। टूरिज्म से श्रीलंका को सालाना 5 अरब डॉलर की कमाई होती थी। टूरिज्म सेक्टर पर कोरोना की मार ने श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी कर दी।

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India News Desk

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