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Statue Of Equality Dedicated To Nation प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया अनावरण

Statue Of Equality Dedicated To Nation

इंडिया न्यूज, हैदराबाद:

Statue Of Equality Dedicated To Nation प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज शाम आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद के बाहरी इलाके शमशाबाद में 11वीं शताब्दी के संत व समाज सुधारक रामानुजाचार्य की प्रतिमा ‘स्टैच्यू आफ इक्वेलिटी’ (Statue of Equality) का अनावरण किया। बैठी हुई मुद्रा में श्री रामानुजाचार्य की याद में देश को समर्पित की गई 216 फुट ऊंची यह प्रतिमा दुनिया में दूसरी सबसे ऊंची है।

Shamshabad, Feb 05 (ANI): Prime Minister Narendra Modi performs a ritual at ‘Yagyashala’ during the inauguration of 216 feet tall ‘Statue of Equality’ to commemorate the 11th century of Bhakti Saint Sri Ramanujacharya, in Shamshabad on Saturday. Telangana Governor Tamilisai Soundararajan also present. (ANI Photo)

थाइलैंड स्थित 302 फुट ऊंची बुद्ध की प्रतिमा दुनिया में सबसे ऊंची है। बैठने की स्थिति में श्री रामानुजाचार्य की यह प्रतिमा विश्व में सबसे ऊंची धातु की मूर्तियों में से एक है। देश में पहली बार समानता की बात करने वाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी के जन्म के 1001 वर्ष पूरे हो चुके हैं। मंदिर में रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां हैं।

मिश्र धातु पंचलोहा से बनाई गई है प्रतिमा

पीएम ने प्रतिमा के अनावरण के मौके पर शमशाबाद स्थित ‘यज्ञशाला’ में विधिवत पूजा-पाठ भी किया। श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा वर्ष 2014 में बनाए गए 45 एकड़ के भव्य मंदिर परिसर में स्थापित की गई है। मंदिर का मूल भवन 58 फीट ऊंचा है। मिश्र धातु पंचलोहा से प्रतिमा का निर्माण किया गया है। इसमें पांच धातुओं सोना, चांदी, तांबा, पीतल व जस्ता का इस्तेमाल किया गया है। रामानुजाचार्य की एक प्रतिमा मंदिर के अंदर भी स्थापित की गई है जिसको 120 किलो सोने से तैयार किया गया है।

श्री चिन्ना जीयर स्वामी ने की है परिकल्पना

पीएमओ ने बताया कि श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा एक वैदिक डिजीटल लाइब्रेरी व रिसर्च केंद्र भी है। इसके अलावा उसमें एक थिएटर, प्राचीन भारतीय ग्रंथ और एक शैक्षिक गैलरी भी बनाई गई है। इसमें श्री रामानुजाचार्य के कई कार्यों को दर्शाया गया है। श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयर स्वामी ने प्रतिमा की परिकल्पना की है।

1017 में तमिलनाड़ु में हुआ था संत रामानुजाचार्य का जन्म

वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म 1017 में तमिलनाड़ु में हुआ था। वे विशिष्टाद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे। कांची में उन्होंने अलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली। पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया। 120 साल की आयु में उन्होंने देह त्याग किया।

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Vir Singh

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