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India News (इंडिया न्यूज), Ranjit Singh Statue: सिख साम्राज्य के पहले शासक महाराजा रणजीत सिंह की पुनर्स्थापित प्रतिमा, जिसे पहले धार्मिक चरमपंथियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। उसका बुधवार (26 जून) को करतारपुर साहिब में 450 से अधिक भारतीय सिखों की उपस्थिति में अनावरण किया गया।इसके बाद पाकिस्तान और भारत के सिख समुदाय के सदस्यों ने सम्राट की प्रतिमा के सामने तस्वीर खिंचवाई। पंजाब के पहले सिख मंत्री और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (PSGPC) के अध्यक्ष रमेश सिंह अरोड़ा ने प्रतिमा का अनावरण किया। करतारपुर साहिब को गुरुद्वारा दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है और यह भारतीय सीमा के करीब लाहौर से लगभग 150 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है।
पंजाब के पहले सिख मंत्री रमेश सिंह अरोड़ा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि हमने आज स्थानीय और भारतीय सिखों की मौजूदगी में गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर साहिब में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा स्थापित की है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के नेता ने कहा कि पुनर्स्थापित प्रतिमा को करतारपुर साहिब में मुख्य रूप से इसलिए रखा गया है ताकि सीमा पार से यहां आने वाले भारतीय सिख भी इसे देख सकें। उन्होंने आगे कहा कि करतारपुर में सिख नेता की प्रतिमा की भी बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। जिसे पहले लाहौर किले में क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। दरअसल, महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए पिछले सप्ताह भारत से यहां पहुंचे 455 सिख प्रतिमा के उद्घाटन में शामिल हुए। वे एक दिन के लिए करतारपुर में रुकेंगे।
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बता दें कि महाराजा रणजीत सिंह की नौ फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा पहली बार 2019 में उनकी समाधि के पास लाहौर किले में स्थापित की गई थी। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के सदस्यों द्वारा इसे दो बार क्षतिग्रस्त किया गया था। पंजाब के महान सिख शासक की प्रतिमा यूनाइटेड किंगडम की एक संस्था की ओर से प्रांत के लोगों को एक उपहार थी। दरअसल, महाराजा को घोड़े पर सवार दिखाने वाली इस प्रतिमा को बनाने में आठ महीने लगे थे और इसे यूनाइटेड किंगडम के इतिहासकार और सिख खालसा फाउंडेशन के प्रमुख बॉबी सिंह बंसल ने प्रायोजित किया था। प्रतिमा का वजन 250 से 330 किलोग्राम के बीच बताया जाता है। गौरतलब है कि महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के संस्थापक थे। जिसने 19वीं सदी के शुरुआती दौर में उत्तर-पश्चिम भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया था।
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