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India News (इंडिया न्यूज़), Maharashtra, औरंगाबाद: देश आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर गया है। 23 अगस्त को भारत का चंद्रयान चांद की सतह पर उतर गया। चंद्रमा की दक्षिण सतह पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना। आजादी के इतने साल और इतनी तरक्की के बाद भी, हमारे देश के कई इलाकों में विकास नहीं पहुंच सका है। ऐसा का एक वीडियो महाराष्ट्र के औरंगाबाद से आया है। जिले के भिव धनोरा गांव के सरकारी स्कूल के छात्र स्कूल जाने के लिए हर दिन थर्माकोल नाव चलाकर नदी पार करते हैं। यह बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार करते है।
यहां के निवासियों में से एक ने सामचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि जयकवाड़ी बांध के निर्माण के बाद से हम उसी स्थिति का सामना कर रहे हैं क्योंकि यहां बैकवाटर बहता है। हमने सरकार से कई अपील की है, लेकिन कुछ नहीं हुआ। गांव को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। इसका एक हिस्सा प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रहा है। मैं सरकार से अपील करना चाहता हूं कि वह हमें बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराए… यहां लगभग 50-60 बस्तियां हैं। यहां से लगभग 200-300 लोग यात्रा करते हैं। प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है।
#WATCH | Maharashtra: One of the residents of Bhiw Dhanora village says, "We are facing the same situation since the Jayakwadi Dam is being constructed as the backwaters flow here. We have made several appeals to the government, but nothing happened. The village has been divided… https://t.co/tC4q5YhM0u pic.twitter.com/nVfzozsmJl
— ANI (@ANI) August 29, 2023
जिला परिषद प्राथमिक शाला भिव धनोरा के हेडमास्टर राजेंद्र खिमनार ने कहा कि छह छात्र बस्ती से आते हैं जो किसान समुदायों से हैं। उन्हें स्कूल आने के लिए गोदावरी बैकवाटर को पार करना पड़ता है। वही गंगापुर के तहसीलदार सतीश सोनी ने मामले पर कहा कि जब गोदावरी नदी पर जयकवाड़ी बांध का निर्माण किया गया था, तो बैकवाटर भिव धनोरा गांव में बहता था, इसलिए पूरे गांव को एक नए स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था। नए गांव में, लोगों को भूखंड आवंटित किए गए हैं। लेकिन 7-8 परिवार जो गांव में नहीं रहते बल्कि खेतों में रहते हैं, क्योंकि खेती ही उनकी आजीविका है। इसलिए, इन लोगों के बच्चे स्कूल जाने के लिए नदी पार करते हैं।
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