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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Supreme Court Approves Char Dham Project: सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को चार धाम सड़क प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गई है। कोर्ट ने उत्तराखंड में परियोजना के लिए तीन डबल-लेन हाईवे बनाने की मंजूरी दे दी है साथ ही सड़क की चौड़ाई 10 मीटर करने की इजाजत दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोर्ट न्यायिक समीक्षा में सेना के सुरक्षा संसाधनों को तय नहीं कर सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र के 8 सितंबर 2020 के आदेश में संशोधन की मांग को मानते हुए निर्माण की अनुमति दी है। बताया जाता है कि रक्षा मंत्रालय की तरफ से इसको लेकर गुजारिश की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अब मुहर लगाई है। ये हाईवे रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं, इससे चीनी सीमा तक पहुंचने में भी सेना को आसानी होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट को 2013 की केदारनाथ त्रासदी में मृतकों के लिए श्रद्धांजलि बताया था। उत्तराखंड में उस समय हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। इसी दौरान साल 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले दिसंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी, जिसके तहत चार धाम को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को चौड़ा, बेहतर और मजबूत किया जाना है।
चारधाम परियोजना एक तरह से आल वेदर रोड परियोजना है, जो उत्तराखंड में केवल चार धामों को जोड़ने की परियोजना भर नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है। इसके जरिए उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही पड़ोसी चालबाज देश चीन को चुनौती देने के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण है। पहले इस प्रोजेक्ट का नाम आल वेदर रोड प्रोजेक्ट ही था, जिसे बाद में नाम बदलकर चारधाम प्रोजेक्ट किया गया।
बताया जा रहा है कि 12 हजार करोड़ रुपये की लागत से 900 किमी लंबे चार धाम प्रोजेक्ट का निर्माण होना है। इस प्रोजेक्ट के जरिए ऋषिकेश से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ को जोड़ने के लिए तीन नेशनल हाईवे बनाए जाने हैं। इन चारों स्थलों के लिए आल-वेदर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए, जिन हाईवे का निर्माण होना है उनमें-ऋषिकेश से माना, ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ तक तीन हाईवे का निर्माण शामिल है।
केंद्र सरकार ने चार धाम रोड प्रोजेक्ट की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए उत्तरी चीन सेना तक ब्रह्मोस मिसाइल ले जाने का हवाला देते हुए सड़कों को चौड़ा करने की इजाजत मांगी थी। चीन के साथ सीमा पर तनाव के दौर में एलएसी पर भारत की ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती ड्रैगन के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात होगी। ब्रह्मोस मिसाइलों की एलएसी पर तैनाती से निश्चित तौर पर चीन के कई शहर इस घातक क्रूज मिसाइल की जद में होंगे।
भारत ने जून 2021 में 290 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल का लाइव टेस्ट किया गया था। हाल ही में सुखोई-30 के साथ ब्रह्मोस का टेस्ट किया गया है। भारत के ये सुपरसॉनिक मिसाइल ब्रह्मोस टेस्ट चीन को भारत की मिसाइल क्षमता का अंदाजा कराते रहते हैं।
भारत के हाल ही में चीन के साथ लगने वाली सीमा पर अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में ब्रह्मोस मिसाइल तैनात करने के फैसले की चीनी ने कड़ी आलोचना की थी और इसे दोनों देशों के संबंधों में तनाव लाने की कोशिश करार दिया था। ब्रह्मोस की तैनाती को लेकर चीनी मीडिया के इस हंगामे को ही इस मिसाइल को लेकर चीन का डर माना जा रहा है।
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