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‘इसका मतलब केवल करदाता ही बचे हैं’, 81 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन देने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये क्या कह दिया?

BY: Sohail Rahman • LAST UPDATED : December 10, 2024, 6:02 pm IST
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‘इसका मतलब केवल करदाता ही बचे हैं’, 81 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन देने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये क्या कह दिया?

Supreme Court (मुफ्त रेवड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किए तीखे सवाल)

India News (इंडिया न्यूज), Supreme Court: केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मुफ्त में दी जा रही सुविधाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (10 दिसंबर, 2024) को सवाल उठाए। इस बारे में कोर्ट ने पूछा कि, मुफ्त रेवड़ी कब तक बांटी जाएगी? इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद से मुफ्त राशन पाने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने उस समय हैरानी जताई जब केंद्र ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती राशन दिया जा रहा है। इस पर बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, ‘इसका मतलब है कि केवल करदाता ही बचे हैं।’

एनजीओ द्वारा दायर की गई थी याचिका

हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, इस मामले में एक एनजीओ द्वारा याचिका दाखिल की गई थी। एनजीओ की तरफ से वकील प्रशांत भूषण पेश हुए थे। उन्होंने कहा कि, उन प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन दिया जाना चाहिए जो “ई-श्रमिक” पोर्टल पर पंजीकृत हैं। इस पर बेंच ने कहा, ‘कब तक मुफ्त में दिया जाएगा? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, हम इन प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर, रोजगार और क्षमता निर्माण पर काम क्यों नहीं करते?’

अधिवक्ता भूषण ने कहा कि न्यायालय ने समय-समय पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड जारी करने का निर्देश दिया है, ताकि वे केंद्र द्वारा दिए जाने वाले मुफ्त राशन का लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि हाल के आदेश में कहा गया है कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं, लेकिन वे “ई-श्रमिक” पोर्टल पर पंजीकृत हैं, उन्हें केंद्र द्वारा मुफ्त राशन दिया जाएगा।

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न्यायालय ने क्या-क्या कहा?

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘यही समस्या है। जैसे ही हम राज्यों को सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन देने का आदेश देंगे, यहां कोई नहीं दिखेगा। वे भाग जाएंगे। राज्यों को पता है कि यह जिम्मेदारी केंद्र की है, इसलिए वे राशन कार्ड जारी कर सकते हैं।’ भूषण ने कहा कि अगर 2021 की जनगणना कराई जाती, तो प्रवासी मजदूरों की संख्या बढ़ जाती, क्योंकि केंद्र आज भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर है। इस पर पीठ ने कहा, ‘हमें केंद्र और राज्यों के बीच मतभेद पैदा नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से स्थिति बहुत मुश्किल हो जाएगी।’

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