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India News (इंडिया न्यूज), Supreme Court on Sambhal Case: संभल के जामा मस्जिद में ट्रायल कोर्ट द्वारा सर्वे को लेकर दिए गए आदेश के खिलाफ शाही ईदगाह कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान सीजेआई ने कहा कि हम केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं। हम नहीं चाहते कि इस बीच कुछ भी हो। याचिकाकर्ताओं को आदेश को चुनौती देने का अधिकार है। यह आदेश 41 के अंतर्गत नहीं है, इसलिए आप प्रथम अपील दायर नहीं कर सकते है।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हाईकोर्ट जाएं, जब तक हाईकोर्ट कुछ न कहे, इस मामले में आगे कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। वहीं सीजेआई ने जिला प्रशासन से कहा कि शांति और सद्भाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए। हम इसे लंबित रखेंगे। हम नहीं चाहते कि कुछ भी हो। मध्यस्थता अधिनियम की धारा 43 देखें और देखें कि जिला को मध्यस्थता समितियां बनानी चाहिए। हमें पूरी तरह से तटस्थ रहना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि कोई अप्रिय घटना न हो। उन्होंने आगे कहा कि हमें उम्मीद और भरोसा है कि ट्रायल कोर्ट तब तक इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएगा। जब तक कि मामला हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध न हो जाए और हाईकोर्ट उचित आदेश पारित न कर दे।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायालय आयुक्त द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट 6 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। वहीं हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संभल में शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद समिति को हाईकोर्ट जाने और ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें (मस्जिद समिति) इलाहाबाद हाईकोर्ट में आदेश को चुनौती देने के लिए कहा है और इसे दायर किया जाना चाहिए और इसे 3 कार्य दिवसों में हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर सीमित रोक है।
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