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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, टीडीएस प्रणाली को खत्म करने की भाजपा नेता की याचिका खारिज

BY: Shubham Srivastava • LAST UPDATED : January 24, 2025, 12:13 pm IST
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, टीडीएस प्रणाली को खत्म करने की भाजपा नेता की याचिका खारिज

Supreme Court On TDS System

India News (इंडिया न्यूज), Supreme Court On TDS System : भारतीय जनता पार्टी के नेता (भाजपा) अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) को ‘स्रोत पर कर कटौती’ प्रणाली को खत्म करने की मांग करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया, लेकिन याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर राहत पाने की सलाह दी है।

सीजेआई खन्ना ने कहा, “माफ करें, हम इस पर विचार नहीं करेंगे। यह बहुत खराब तरीके से तैयार किया गया है। आप उच्च न्यायालय जा सकते हैं। कुछ निर्णयों ने इसे बरकरार रखा है। माफ़ करें। हम इस पर विचार नहीं करेंगे। इसे खारिज किया जाता है।”

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कोर्ट में दायर याचिका में क्या था?

अश्विनी कुमार उपाध्याय की तरफ से दायर की गई याचिका में टीडीएस प्रणाली को मनमाना और तर्कहीन बताया था। अश्विनी दुबे ने इसे समाप्त करने का निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया गया तथा इसे समानता सहित विभिन्न मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है। इसके अलावा दायर याचिका में अधिनियम के तहत टीडीएस ढांचे को चुनौती दी गई है, जो भुगतानकर्ता द्वारा भुगतान के समय कर की कटौती और उसे आयकर विभाग में जमा करने को अनिवार्य बनाता है।

कटौती की गई राशि को दाता की कर देयता में समायोजित किया जाता है। अश्विनी कुमार उपाध्याय ने टीडीएस नियमों का पालन करने के लिए आवश्यक व्यक्तियों और संस्थाओं के सामने आने वाली प्रशासनिक और वित्तीय चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की।

क्या है टीडीएस प्रणाली?

कर चोरी को रोकने के लिए टीडीएस प्रणाली लागू की गई थी। यह तब लागू होता है जब एक पक्ष (कटौतीकर्ता) को दूसरे पक्ष (भुगतानकर्ता) को वेतन, किराया या कमीशन जैसे भुगतान करने की आवश्यकता होती है। यदि ये भुगतान एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक हैं, तो वे कर कटौती के अधीन हो जाते हैं।

याचिका में कहा गया है, “सरकार के पास अपने कर विभाग के माध्यम से सीधे कर एकत्र करने के लिए संसाधनों की कमी नहीं है। फिर भी, यह बिना पारिश्रमिक के जिम्मेदारी टीडीएस मूल्यांकनकर्ताओं को सौंप देती है।”

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