• कहा-पहले मामले को स्टडि किया जाएगा, फिर आदेश जारी होगा
  • 17 मई तक पूरा करना होगा सर्वे का काम

जैसा कि आप जानते ही हैं कि पिछले काफी समय से ज्ञानवापी मस्जिद (gyanvapi masjid) के सर्वे को लेकर पसोपेश चल रही है। वहीं सर्वे को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी लगाई गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस याचिका को खारिज कर दिया है। वहीं अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति भी जाहिर की है और बाद में इस पर सुनवाई की जाएगी।

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली। जैसा कि आप जानते ही हैं कि पिछले काफी समय से ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर पसोपेश चल रही है। वहीं सर्वे को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका भी लगाई गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस याचिका को खारिज कर दिया है।

वहीं अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति भी जाहिर की है और बाद में इस पर सुनवाई की जाएगी। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Inazaniya Masjid Committee) की ओर से दायर अर्जी को लेकर चीफ जस्टिस एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) ने कहा कि इस मामले में हमे कोई जानकारी नहीं है।

ऐसे में हम तत्काल कोई आदेश कैसे जारी कर सकते हैं। हम इस मामले की लिस्टिंग कर सकते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले से जुड़ी फाइलों को हमने पढ़ा नहीं है। उनके अध्ययन के बाद ही कोई आदेश जारी किया जा सकता है।

17 मई तक पूरा करना होगा सर्वे का काम

आपको बता दें कि इंतजामिया कमेटी की ओर से पेश अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने अदालत से मांग की कि वाराणसी कोर्ट के फैसले पर तत्काल रोक लगाई जाए, जिसने गुरुवार को मस्जिद के सर्वे का आदेश जारी किया है।

अदालत ने 17 मई तक सर्वे की प्रक्रिया पूरी कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque near Vishwanath Temple) को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि इसके अंदर हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं।

इसके अलावा श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) की प्रतिदिन पूजा करने की परमिशन दिए जाने की भी मांग की गई है। इस पर अदालत ने सर्वे करने और वीडियोग्राफी का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि सर्वे में मिले सबूतों की रिपोर्ट 17 मई को कोर्ट में पेश की जाए।

मुस्लिम पक्ष की ओर से दी गई ये दलील

अहमदी ने तर्क देते हुए कहा कि वाराणसी की संपत्ति को लेकर सर्वे का आदेश दिया गया है। यह संपत्ति प्लेसेज आफ वर्शिप ऐक्ट (Property Places of Worship Act) के तहत आती है। अदालत ने इसके सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की है।

यह लंबे समय से मस्जिद रही है। उन्होंने अदालत से इसे तत्काल रोके जाने का आदेश देने की मांग की, लेकिन चीफ जस्टिस की बेंच ने इसे मानने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

सीजेआई ने कहा हमने अभी दस्तावेज नहीं देखे हैं। हम यह भी नहीं जानते हैं कि आखिर मामला क्या है। मैं कुछ नहीं जानता, ऐसे में मैं कैसे कोई आदेश पारित कर सकता हूं। मैं पढ़ूंगा और फिर कोई आदेश जारी करूंगा। अभी आप इंतजार करिए।

यह है मामला

बता दें कि 5 हिंदू महिलाओं की ओर से एक अर्जी दाखिल की गई थी, जिसे पर सुनवाई करते हुए पिछले महीने वाराणसी कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था। उसकी ओर से एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को सर्वे के लिए नियुक्त किया गया था।

उनकी नियुक्ति को चुनौती देते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से अर्जी दाखिल की गई थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। हालांकि उसने एक और कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति का आदेश दिया और 17 मई तक सर्वे पूरा कर रिपोर्ट देने को कहा है।

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