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India News (इंडिया न्यूज़), SC On VVPAT: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार (1 अप्रैल) को चुनाव में वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से जवाब मांगा। जो कि वीवीपैट पेपर पर्चियों के माध्यम से केवल पांच यादृच्छिक रूप से चयनित ईवीएम के सत्यापन की वर्तमान प्रथा के विपरीत है। बता दें कि, वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो एक वोटर को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं। दरअसल, वीवीपैट एक पेपर स्लिप उत्पन्न करता है, जिसको वोटर देख सकता है। वहीं, पेपर स्लिप को एक सीलबंद कवर में रखा जाता है और इसे विवाद की स्थिति में खोला जा सकता है।
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देश की आलोचना की गई है। जिसमें कहा गया है कि वीवीपैट सत्यापन एक के बाद एक क्रमिक रूप से किया जाएगा। याचिका में आगे कहा गया है कि यदि एक साथ सत्यापन किया जाता है और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अधिक अधिकारी तैनात किए जाते। उस स्थिति में पूरा वीवीपैट सत्यापन पांच-छह घंटे में किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर लगभग 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। परंतु वर्तमान में सिर्फ लगभग 20,000 वीवीपैट की वीवीपैट पर्चियां ही सत्यापित हैं।
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बता दें कि, याचिका में कहा गया है कि यह देखते हुए कि वीवीपैट और ईवीएम के संबंध में विशेषज्ञों द्वारा कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इस तथ्य कि अतीत में ईवीएम और वीवीपैट वोटों की गिनती के बीच बड़ी संख्या में विसंगतियां सामने आई हैं। जिसके बाद यह जरूरी है कि सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जाए और एक मतदाता की गिनती की जाए। याचिका में आगे कहा गया है कि उन्हें अपनी वीवीपैट पर्ची को भौतिक रूप से मतपेटी में डालने की अनुमति देकर उचित रूप से सत्यापित करने का अवसर दिया गया है कि मतपत्र में डाला गया उनका वोट भी गिना जाता है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस जारी की और इस मुद्दे पर लंबित सभी मामलों के साथ टैग कर दिया।
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