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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आपने किसी न्यायिक अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया है, तो माफी स्वीकार करने का सवाल ही कहां है।
अदालत की अवमानना कानून के तहत आरोपों से घिरे दो पुलिसकर्मियों की अर्जियों पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर एवं न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने यह टिप्पणी की। बता दें कि दोनों पुलिसकर्मियों पर न्याय प्रशासन में कथित रूप से दखल देने को लेकर आरोप तय किए गए हैं। शीर्ष अदालत इन पुलिसकर्मियों द्वारा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 2018 के आदेश के विरूद्ध दायर अलग-अलग अर्जियों पर सुनवाई कर रही थी।
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हाई कोर्ट ने कहा था कि वर्ष 2017 में एक न्यायिक अधिकारी का कथित रूप से अपमान करने को लेकर इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत की अवमानना कानून के प्रावधानों के तहत मामला बनता है।
पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इन याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने इस मामले में हाई कोर्ट के सामने बिना शर्त माफी मांग ली है, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया और कानून के प्रावधानों के तहत आरोप तय कर दिए गए। याचिकाकर्ता उस वक्त कांस्टेबल के पद पर था।
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पीठ ने कहा, अगर आपने न्यायिक अधिकारी से दुर्व्यवहार किया है, तो माफी स्वीकार करने का प्रश्न ही कहां है। दूसरे याचिकाकर्ता, जो उस समय संबंधित थाने के प्रभारी थे, के वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि उनके मुवक्किल ने न्यायिक अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया। पहले याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता कांस्टेबल थे और उन्हें इस आरोप पर अदालत की अवमानना करने को लेकर आरोपित किया गया ह।
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