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SYL canal vivad kya hai एसवाईएल पर भी रहा लंबा विवाद

SYL canal vivad kya haii एग्जीक्यूशन फैसला 2003 में आया

एसवाईएल (sutlej yamuna link canal) पर 2002 में सुप्रीम को फैसला है कि पानी पर जो हरियाणा का अधिकार है, वो प्रदेश को जरूर मिलना चाहिए। नहर की खुदाई होनी चाहिए और एग्जीक्यूशन फैसला 2003 में आया। कोर्ट के आदेश में आया कि सरकार 4 महीने के अंदर अंदर नहर बनाने पर काम शुरू करवाए।

Punjab Haryana Controversy Issue

syl canal vivad kya hai: इसी बीच पंजाब (punjab haryana) ने एक और कंट्रोर्शियल ऑर्डर पास कर दिया जो कि अवैध था और इसके तहत हरियाणा के पानी के हिस्से के आदेश को निरस्त कर दिया गया। इस आदेश को प्रेसिडेंट ने रिजेक्ट करने की बजाए सुप्रीम कोर्ट में भेज दिया। फिर 2016 तक ये लटका रहा।

अब केवल चंडीगढ़, एसवाईएल का पानी और 400 गांव ही नहीं, पीयू में हिस्सेदारी, यूटी प्रशासक हरियाणा से और प्रशासन में ज्यादा अधिकारी हरियाणा से हों

controversy issue: इसके बाद हमने मामले पर अगली सुनवाई की प्रक्रिया सुनिश्चित की। इसके बाद पंजाब के 2004 एक्ट को निरस्त किया गया। पानी को लेकर अधिकार हमारा जारी रहा। फिलहाल मामले पर सुप्रीम कोर्ट का मत है कि पंजाब हरियाणा के साथ बैठकर मामले को सुलझाए और लेकिन अब तक पंजाब की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं है। मामले में लीगल राय लेंगे कि क्या 2002 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हम कंटेप्ट ऑफ कोर्ट मामले में पंजाब के खिलाफ कोर्ट में जा सकते हैं। लेकिन प्राथमिकता है कि पानी का हिस्सा मिले।

चंडीगढ़ के मामले पर हरियाणा में सभी राजनीतिक दल साथ : सीएम

syl canal vivad kya hai: केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) और हरियाणा-पंजाब दोनों की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ पर पंजाब के अकेले दावे और इसको पंजाब को सुपुर्द किए जाने को लेकर 1 अप्रैल को वहां की विधानसभा में पास किए प्रस्ताव की कड़ी निंदा करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि वो इसकी कड़ी निंदा करते हैं।

हरियाणा की सभी राजनीतिक पार्टियों ने एक सुर में पंजाब के इस कृत्य की आलोचना व भर्त्सना की है और इस मामले पर वो सभी एकजुट हैं। साल 1955 से लेकर अब तक का घटनाक्रम सदन में रखा गया और नए सदस्यों को भी इसकी जानकारी मिली। जब भी दोनों के बीच के मामलों को रिव्यू किया तो कोई न कोई विवाद सामने आया।

शाह कमीशन के अनुसार हिंदी भाषा एरिया हरियाणा को दे दिया जाए

उन्होंने बताया कि राजीव-लोगोंवाल, अलग अलग कमीशन व बोर्ड ने अलग अलग सिफारिश की है। शाह कमीशन की सिफारिश की अनुसार चंडीगढ़ खरड़ तहसील का हिस्सा था और तहसील 31 फीसद हिस्सा हिंदी भाषी था। इसके अनुसार कहा गया कि जो पंजाबी बोलने वाले गांव थे, उनको पंजाब में दे दिया जाए। वहीं इंदिरा एकोर्ड के अनुसार चंडीगढ़ पंजाब को दे दिया जाना चाहिए। इस पर तरह से अलग बोर्ड व कमीशन ने अलग राय दी।

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अब हम सुप्रीम कोर्ट को लिखेंगे एसवाईएल को लेकर

मामले को लेकर मनोहर लाल ने आगे कहा कि चूंकि मामले में पंजाब की रवैया सही नहीं है तो ऐसे में हम अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद आगे की कार्रवाई सुनिश्चित होगी। सुप्रीम कोर्ट के ऊपर है कि किस के लिए क्या आदेश होंगे, उसी आधार पर पानी की हिस्सेदारी हरियाणा को मिलने पर काम शुरू होगा।

हरियाणा की अलग हाईकोर्ट की मांग है

सीएम मनोहर ने कहा कि हम अलग हाईकोर्ट की मांग भी निरंतर कर रहे हैं। चंडीगढ़ में हमारा अलग हाईकोर्ट है, इस मांग को भी हमने 5 अप्रैल के प्रस्ताव में जोड़ा है।

केजरीवाल घिर गए हैं, कोई एक स्टैंड लेंगे तो फंसेंगे

पंजाब ने कोई एक प्रस्ताव पास किया। हरियाणा के आप पार्टी के अधिकारी की राय कुछ अलग है तो आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल कुछ बोल नहीं रहे हैं। कहीं न कहीं वो अब घिर रहे हैं और कोई एक स्टैंड लेने पर उनका नुकसान तय है।

SYL नहर विवाद की टाइम लाइन

  • 1955 में केंद्र ने राज्यों की सहमति से रावी और ब्यास नदी के पानी को राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच बंटवारा तय किया।
  • 1955 में केंद्र ने राज्यों की सहमति से रावी और ब्यास नदी के पानी को राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच बंटवारा तय किया।
  • 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता हुआ जिसमें रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर सिर्फ भारत का अधिकार माना गया। सिंधु, झेलम और चेनाब नदी का पानी पाकिस्तान को मिला।
  • 1966 में पंजाब का बंटवारा कर हरियाणा बनाया गया। तभी से दोनों राज्यों केबीच पानी के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया।
  • 1976 में केंद्र सरकार ने पंजाब के 7.2 एमएएफ यानी (मिलियन एकड़ फीट) पानी में से 3.5 एमएएफ हिस्सा हरियाणा को देने का नोटिफिकेशन जारी किया।
  • पंजाब से हरियाणा के हिस्से का पानी लाने के लिए सतलुज नदी से यमुना को जोडऩे वाली एक नहर की योजना बनाई गई जिसे एसवाईएल यानी सतलुज यमुना लिंक कहते हैं।

Timeline of syl canal dispute

  • 1981 में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ मिलकर एक समझौते पर दस्तखत किए थे।
  • 8 अप्रैल 1982 को इंदिरा गांधी ने पटियाला जिले के कपूरी गांव में ख़ुद जाकर एसवाईएल की खोदाई की शुरुआत की थी।
  • एसवाईएल की लंबाई 214 किलोमीटर है जिसमें से पंजाब में 122 और हरियाणा में 92 किमी हिस्से का निर्माण होना था।
  • नहर के निर्माण का 90 फीसद काम पूरा हो गया। जो काम बचा वह पंजाब के हिस्से का है। हिंसा की कई घटनाओं के बाद 1990 में पंजाब ने नहर का निर्माण रोक दिया था।
  • मामला 1996 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने 2002 और 2004 में पंजाब को दो बार निर्देश दिए कि वह अपने हिस्से में नहर के काम को पूरा करे।
  • 2004 में पंजाब विधानसभा के एक फैसले ने आग में घी डालने का काम किया। 12 जुलाई को पंजाब विधानसभा ने बिल पास कर पानी को लेकर हुए सभी समझौतों को रद कर दिया।
  • पंजाब विधानसभा के बिल के खिलाफ तत्कालीन केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट तक चली गई थी। कई वर्षों तक बातचीत, विवाद और कोर्ट में सुनवाई चलती रही।
  • 15 मार्च 2016 को पंजाब सरकार ने नहर के लिए किसानों से ली गई पांच हजार एकड़ जमीन को वापस लेने के लिए डि-नोटिफिकेशन का बिल पास कर दिया।
  • बिल पास होने के बाद से ही पंजाब में एसवाईएल को पाटने का काम शुरू हो गया और जिसमें तमाम पार्टियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
  • हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नहर के लिए तत्काल रिसीवर नियुक्तकरने की अपील की जो नहर की जमीन और कागजात को अपने कब्जे में ले।
  • सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने यथास्थिति बनाए रखने का फैसला दिया। हालांकि, पंजाब विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर दिया जिसमें कहा गया कि एसवाईएल नहर को बनने नहीं दिया जाएगा।

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Amit Gupta

Managing Editor @aajsamaaj , @ITVNetworkin | Author of 6 Books, Play and Novel| Workalcholic | Hate Hypocrisy | RTs aren't Endorsements

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