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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Target Killings In Kashmir): कश्मीर घाटी में एक बार फिर 1990 के हालात बनता देखकर कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यक समुदायों के अन्य कई हिंदुओं ने पलायन करना शुरू कर दिया है। पिछले लगभग एक महीने से लोग कश्मीर घाटी छोड़ रहे हैं और अब तक सैकड़ों की संख्या में ज्यादातर कश्मीर हिंदू व गैर मुस्लिम परिवार घाटी छोड़कर देश के अन्य भागों का रुख कर चुके हैं। पिछले 26 दिन में आतंकियों ने टारगेट किलिंग कर लगभग 8 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। इसी कारण लोगों में दहशत है और अधिकतर किसी न किसी तरह घाटी से निकलकर सुरक्षा जगह जाना चाहते हैं।
पिछले साल आठ जून से टारगेट किलिंग का सिलसिला तब शुरू हुआ था जब आतंकियों ने सरपंच अजय पंडित की हत्या की थी। इसके बाद पांच अक्टूबर और फिर सात अक्टूबर को टारगेट किलिंग कर घाटी में दहशत फैलाई।
पांच अक्टूबर 2021 को श्रीनगर में केमिस्ट एमएल बिंद्रू और सात अक्टूबर को एक टीचर दीपकर चंद व एक स्कूल की प्रिंसिपल सतिंदर कौर को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया। अब इस साल पिछले महीने यानी इस मई में तो आतंकियों ने हदेें पार कर दीं। मई में टारगेट किलिंग की 8 वारदातें सामने आने के बाद वहां से अधिकतर सरकारी कर्मचारी डरे सहमे हैं और वह घाटी से निकलना चाहते हैं।
टारगेट किलिंग के विरोध में कश्मीर के लालचौक, अनंतनाग व जम्मू में भी पिछले कुछ दिन से प्रदर्शन हो रहे हैं। दूसरी ओर हर कोई सेफ जगह जाने की तैयारी में और कई रवाना भी हो चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में पीएम पैकेज के तहत काम कर रहे अमित कौल ने हाल ही में कहा कि कश्मीर में लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं और इस कारण 30-40 परिवार अनंतनाग छोड़कर जा चुके हैं। सरकारी आश्वासनों व जिला मुख्यालयों पर सेफ तबादले के वादे के बावजूद कश्मीरी पंडित श्रीनगर से जम्मू की ओर पलायन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि श्रीनगर में भी कोई सेफ जगह नहीं है। सरकार हमारी मांग पूरी नहीं कर रही है।
रिपोर्टों के अनुसार कश्मीर की आतंकी वारदातों से संभावित कई जगहों से सैकड़ों परिवार घाटी छोड़ चुके हैं। इसी के साथ सैकड़ों लोग अपने घर छोड़ने के लिए तैयार हैं। कई लोग रात में पलायन कर रहे हैं। कई हिंदू दक्षिण कश्मीर, गांदरबल और श्रीनगर स्थित ट्रांजिट कैंपों में रह रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस उन्हें गेट के बाहर नहीं जाने दे रही। एक कर्मचारी ने बताया, सरकार ने हमें जिला मुख्यालयों में भेज दिया है पर वहां भी सुरक्षा नाकाफी है। रोजमर्रा की चीजों के लिए घर से बाहर तो जाना ही होता है।
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