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India News (इंडिया न्यूज़), Tea industry, कोलकाता: उत्तर बंगाल चाय उद्योग को इस साल काफी नुकसान उठाना पड़ा है। बहुत कम बारिश से उद्योग को नुकसान हुआ है। उत्तर बंगाल के भारत के चाया उत्पादन में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। चाय बागान मालिकों ने कहा कि उद्योग औसत उत्पादन से लगभग 15 फीसदी पीछे है और यह 32 फीसदी तक पहुंच जाएगा।
जलस्तर कम होने से सिंचाई भी लगभग ठप हो गई है। बागवानों के अनुसार बारिश की कमी के कारण तराई, दोआर और पहाड़ियों के कई बागानों में कई बीमारियों ने चाय बागानों को अपनी चपेट में ले लिया है।लूपर, हेलोपेल्टिस और रेड स्पाइडर कैटरपिलर चाय बागानों को प्रभावित कर रहे हैं।
सिलीगुड़ी के एक बागान मालिक सतीश मित्रुका ने कहा, “उद्योग सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। बागानों को लंबे समय तक प्राकृतिक वर्षा नहीं मिल रही है, जिससे फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट मदद कर रहे हैं। नदियों का जल स्तर नीचे चला गया है। नतीजतन, उद्योग फिर से हर जगह कृत्रिम सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने में असमर्थ है।”
मित्रुका ने सरकार से वित्तिय सहायता की भी मांगी की। सिलीगुड़ी के पास एक चाय बागान प्रबंधक संदीप घोष ने कहा कि चाय एक मौसमी फसल है, जो अच्छी बारिश पर बहुत अधिक निर्भर है। लेकिन इस साल बारिश की कमी ने चाय उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है और यह सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। परिणामस्वरूप हमारा बगीचा पिछले साल से 15 प्रतिशत पीछे है और इसे पूरा नहीं किया जा सकता है।
संदीप के अनुसार पिछले साल कम से कम 15 मिमी बारिश हुई थी, और इस साल हमारे बगीचे में सिर्फ 6.3 मिमी बारिश हुई है।सिलीगुड़ी के पास एक उद्यान पर्यवेक्षक शांति ओराव ने कहा कि कम वर्षा के कारण चाय की पत्तियां ठीक से नहीं बढ़ रही हैं। इसलिए बागान श्रमिकों की संख्या पहले की तुलना में कम है। भारत का कुल चाय उत्पादन हर साल लगभग 1400 मिलियन किलोग्राम है, जिसमें उत्तरी बंगाल का योगदान लगभग 250 मिलियन किलोग्राम है।
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