India News (इंडिया न्यूज़),Tejashwi Yadav: सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘मोदी’ उपनाम मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाए जाने पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि हम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। यह न्याय की जीत है। सिर्फ राहुल गांधी को ही नहीं बल्कि विपक्ष के लोगों को तंग किया जा रहा था। लेकिन जो लड़ता है उसकी ही जीत होती है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर शुक्रवार को रोक लगा दी।
हम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। यह न्याय की जीत है। सिर्फ राहुल गांधी ही को नहीं बल्कि विपक्ष के लोगों को तंग किया जा रहा था। लेकिन जो लड़ता है उसकी ही जीत होती है: सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'मोदी' उपनाम मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाए जाने पर बिहार के… pic.twitter.com/WcqlQaDkCF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 5, 2023
बता दें गुजरात की एक अदालत ने राहुल गांधी को उनकी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर मानहानि मामले में दोषी ठहराया था। इतना ही नहीं इस मामले में उन्हें दो साल की सजा भी सुनाई गई । सजा के कारण उनकी संसदीय सदस्यता समाप्त हो गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फेसले से राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है। इस फैसले के कारण राहुल गांधी के सदस्यता की बहाली का रास्ता तो साफ हो गया है।
बता दें सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राहुल गांधी की केवल सजा पर लगी है। लेकिन मानहानि का मामला गुजरात के सूरत की एक सत्र अदालत में जारी रहेगा जहां राहुल गांधी ने अपनी दोषसिद्धि को रद्द करने की मांग करते हुए अपील दायर की है।
गौरतलब है 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी की ओर से ये टिप्पणी की गई थी कि “सभी चोरों का सरनेम मोदी कैसे है?” ऐसे में राहुल गांधी के इस टिप्पणी पर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। इस मामले में सुनवाई करते हुए सूरत की एक अदालत ने इस साल 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी ठहराया था और दो साल जेल की सजा सुनाई थी। अगले दिन, उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया।
दोषी ठहराया जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस फैसले को सत्र अदालत में चुनौती दी। सत्र अदालत ने उन्हें 20 अप्रैल को जमानत दे दी। लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। ऐसे में राहुल गांधी ने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सत्र अदालत द्वारा उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार करने को बरकरार रखा गया था।
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