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इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली: देश का संविधान (Constitution) सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। फिर चाहे वह पुरुष हो या महिला। सरकार कानून के तहत सभी को बराबरी से संरक्षण प्रदान करती है। भारत की आधी आबादी के पूरे अधिकारों को सही क्रियान्वयन हो सरकारों की भी यही मंशा रही है।
हांलाकि यह भी कटु सत्य है कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है जो अभी भी किसी न किसी रूप में जारी है। महिलाओं को बराबरी से मौका और अधिकार मिले इस उद्देश्य से मध्यप्रदेश में पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में काफी संजीदगी से काम हुआ है।
बेटियों के सुरक्षित भविष्य की चिंता ने लाड़ली लक्ष्मी योजना को जन्म दिया तो वहीं केन्द्र सरकार की नारी सशक्तिकरण पर केन्द्रित योजनाओं को लाभ प्रदेश की महिलाओं को दिलाने के लिए भी सराहनीय प्रयास कर मिसाल कायम की है। आइये महिला समानता दिवस के उपलक्ष्य पर देखते हैं कि कैसे मध्यप्रदेश सरकार ने नारी सशक्तिकरण के लिए काम किया है और आज भी इस उद्देश्य को लेकर बेहद सजग है।
यह योजना 2007 से अब तक प्रदेश की 42 लाख से अधिक बेटियों का भविष्य सुरक्षित कर उन्हें आगे बढ़ने और सपने साकार करने का हौसला दे रही है। आंकड़ों पर नजर करें तो मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना में अप्रैल 2022 तक 42 लाख, 4 हज़ार 650 बालिकाओं को पंजीकृत किया जा चुका है।
अब तक 9 लाख से अधिक बालिकाओं को 231 करोड़ रूपये की छात्रवृत्ति राशि का भुगतान किया जा चुका है। इस योजना की बदौलत प्रदेश में जन्म लिंगानुपात बढ़कर 927 से 956 हो गया है। योजना लागू होने बाद समाज का बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदला है, जिससे बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त करने में आशातीत सफलता भी मिली है।
इस योजना की व्यापक सफलता को देखते हुए 2022 में लाड़ली लक्ष्मी 2.0 भी लॉन्च कर दिया गया। लाड़ली लक्ष्मी योजना-2.0 में बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें आत्म-निर्भर बनाने के लिये अभिनव पहल की गई है।
योजना में बेटियों का आत्म-विश्वास बढ़ाने, आर्थिक सशक्तीकरण, कौशल संवर्धन और उनके पोषण स्वास्थ्य एवं शिक्षा के साथ उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों को सम्मानित करने का निर्णय भी लिया गया है। इससे समाज में बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच में वृद्धि होगी।
बेटियों की सुरक्षा एवं शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की थी। मध्यप्रदेश सरकार ने इस योजना का प्रभावी क्रियान्वय कर बेटियों को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया है। प्रदेश में इस योजना को अधिक सशक्त बनाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंख अभियान योजना शुरुआत भी की है।
जिसका उद्देश्य प्रदेश की बेटियों को को P-Protection सुरक्षा, A-Awareness-जागरूकता, N-Nutrition-पोषण, K-Knowledge-जानकारी और H-Health a Hygiene-स्वास्थ्य एवं स्वच्छता से जोड़ते हुए विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से उनका विकास सुनिश्चित करना है।
यह कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास विभाग और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की एक पहल है। उषा किरण योजना के तहत महिलाओं/लड़कियों से घरेलु हिंसा व उत्पीड़न संबंधी शिकायतें प्राप्त होती हैं। “वन-स्टॉप क्राइसिस सेंटर्स” की तर्ज पर राज्य के हर जिले में उषा किरण केंद्र स्थापित किए गए हैं
जो महिला अधिकारिता प्रकोष्ठ द्वारा संचालित किये जाते हैं। प्रदेश का पहला वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर सबसे पहले भोपाल में साल 2014 में शुरू किया गया। आर्थिक और सामाजिक सम्मान दे रहे स्व सहायता समूह आत्म निर्भर मध्य प्रदेश के निर्माण में स्व सहायता समूह महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।
समूह से जुड़ी महिलाओं ने अलग-अलग क्षेत्र के काम संभाल लिए हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2021 में आह्वान किया था कि स्व सहायता समूह से जुड़ी प्रत्येक महिला की आय कम से कम 10 हज़ार रूपए प्रतिमाह होनी चाहिए।
स्व सहायता समूहों को मिली मदद की वजह से आज मध्य प्रदेश के स्व सहायता समूह अन्य कामों के साथ साथ स्कूल यूनिफार्म की सिलाई और फसल खरीद जैसे काम भी कर रहे हैं। इतना ही नहीं खेती, पोषण आहार एवं आक्सीजन संयंत्र, दीदी कैफे, उचित मूल्य दुकानों के संचालन और गेहूं खरीद के बाद स्व सहायता समूह की महिलाएं सुरक्षा के क्षेत्र में भी आत्म निर्भर बनेंगी।
राज्य आजीविका मिशन महिलाओं को प्रशिक्षण देकर सुरक्षा गार्ड की नौकरी के लिए तैयार कर रहा है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में बेटियों-महिलाओं की सुरक्षा,समृद्धि और समानता के लिए गांव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण योजना, कन्या विवाह योजना, उदिता योजना जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य बहनों और बेटियों की जिंदगी को सुरक्षित करना है ताकि वो सामाजिक,आर्थिक रूप से सशक्त बनें।
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