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भारतीय रेलवे का पहला केबल ब्रिज, बड़े विस्फोट को सहने की क्षमता,जानिए इस पुल के बारे में

BY: Himanshu Pandey • LAST UPDATED : March 26, 2023, 1:16 am IST
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भारतीय रेलवे का पहला केबल ब्रिज, बड़े विस्फोट को सहने की क्षमता,जानिए इस पुल के बारे में

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इंडिया न्यूज:(First cable bridge of Indian Railways) भारतीय रेल ने केबल ब्रिज अंजी पुल के निर्माण का कार्य जोरों से चल रहा हैं। यह पुल उधमपुर, श्रीनगर और बरामूला रेल लिंक (USBRL) राष्ट्रीय परियोजना का एक हिस्सा हैं। यह हिमालय की पहाड़ियों में दुर्गम और प्राकृतिक जटिलताओं व भूकंप प्रभावित क्षेत्र में बनाया जा रहा है। यह पुल बड़े हिस्से के अंतर्गत 40 मीटर गहरी हाइब्रिड नींव, केंद्रीय तटबंध और सहायक पुल के साथ मुख्य पाइलॉन का कार्य श्रीनगर छोर से हो रहा हैं ।

  • आंधी तूफान को झेल सकता है ये फूल
  • इसके निगरानी को लेकर रखा गया खास ख्याल
  • विष्फोट से भी इस पुल को होगी सेफ्टी

 

आंधी तूफान को झेल सकता है ये फूल

बता दें कि यह पुल तेज हवाओं के भारी तूफानों को झेलने सामर्थ रखेगा, यानी आंधी तूफान को देखते हुए इसे डिजाइन किया गया है। इसकी डिजाइन विंड स्पीड 213 किलोमीटर प्रति घण्टा बताई जा रही है। यानि 213km/hr तक का आंधी तूफ़ान ये पुल आसानी से झेल सकता है। साथ ही इस 100 किलोमीटर प्रति घंटा की क्षमता के अनुरूप लाइन का डिजाइन तैयार किया गया हैं । जिससे ट्रेन अधिक तेजी से चल सके।

इसके निगरानी को लेकर रखा गया खास ख्याल

साथ ही भूकंप इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की द्वारा साइट द्वारा पुल के सेवा के दौरान पुल के संरचनात्मक स्वास्थ्य की भी अच्छे से निगरानी का ख्याल रखा गया हैं। इसमें बड़ी संख्या में सेंसर लगाए जाएंगे। अंजी खड्ड पुल में मुख्य पायलन के निर्माण में 20 मीटर हाइब्रिड वैल फाउंडेशन की परिधि के चारों ओर 40 मीटर गहराई के माइक्रोपाइल्स का भी उपयोग किया गया है।

विष्फोट से इस पुल को होगी सेफ्टी

इस पुल पर 40 किलोग्राम के विस्फोटक के साथ प्रयोग करने पर यह भी पता चला हैं कि, स्थायी भार के तहत पुल को कोई दिक्कत नहीं होगी और कम लागत में इसका तुरंत ही मरम्मत भी किया जा सकेगा, यानि विष्फोट से भी इस पुल को सेफ्टी होगी। अंजी खड्ड पुल 82 मीटर से 295 मीटर तक की लंबाई वाले 96 केबलों पर आधारित है, मुख्य पायलन के निर्माण में 20 मीटर हाइब्रिड वैल फाउंडेशन की परिधि के चारों ओर 40 मीटर गहराई के माइक्रोपाइल्स का उपयोग किया गया है।

 

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