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इंडिया न्यूज,दिल्ली, (Congress awarded the Bharat Ratna, who had left the post of CM): भारत रत्न से सम्मानित कांग्रेस का एक ऐसा नेता जिन्होंने अध्यक्ष बनने के लिए मद्रास मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया था,वह थे तीन बार कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके के.कामराज । इनको किंगमेकर के नाम से जाना जाता था जो अब हमारे बीच नहीं रहे । यह अब 2 अक्तूबर 1975 को दुनिया को अलविदा कह गए थे । वे 1964 से लेकर 1967 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। लेकिन अब आपको बता दें कि कांग्रेस को 19 अक्टूबर को नया अध्यक्ष मिलेगा, जो गैर-गांधी परिवार से होगा। मुख्य मुकाबला मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच है। दोनों उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों अलग-अलग राज्यों में जाकर अपने लिए समर्थन मांग रहे हैं।
के. कामराज का पूरा नाम कुमारस्वामी कामराज था। उनका जन्म 15 जुलाई 1903 को विरुधुनगर में हुआ था। वे 1952 से लेकर 1954 और 1969 से लेकर 1975 तक लोकसभा के सदस्य रहे। इसके अलावा, वे 1954 से लेकर 1967 तक मद्रास विधानसभा के सदस्य भी रहे।
कामराज 1954 में मद्रास स्टेट के मुख्यमंत्री बने। इस पद पर वे 1963 तक आसीन रहे। बाद में, पार्टी हित में उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और संगठन को मजबूत करने में लग गए। कामराज को दो बार प्रधानमंत्री बनने का मौका भी मिला, लेकिन उन्होंने पीएम बनने से इनकार कर दिया। वे पार्टी को मजबूत करना चाहते थे। वे 1964 से लेकर 1967 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
कामराज का मानना था कि कांग्रेस की पकड़ जनता में कमजोर होती जा रही है। इसलिए उन्होंने सुझाव दिया कि पार्टी के बड़े नेता, जो सरकार में उच्च पदों पर हैं, अपने पदों से इस्तीफा दें और कांग्रेस को मजबूत करने में लग जाएं। अपनी इसी योजना के तहत उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया था। अपनी इसी योजना की बदौलत पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में उनकी भूमिका किंगमेकर की रही। वे तीन बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
कामराज मुख्यमंत्री बनने के बावजूद सादगी से रहते थे। उन्होंने 9 साल तक मद्रास के सीएम के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने लोगों के हित में कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
कामराज को 1976 में ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया था। वे आजीवन कांग्रेस के सदस्य बने रहे। उन्होंने 2 अक्टूबर 1975 को इस दुनिया को अलविदा कहा। उनका नाम ऐसे नेता के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने पार्टी के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया। उनकी स्मृति में भारत सरकार की ओर से डाक टिकट भी जारी किया गया है।
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